प्रिय मित्रो,
इन दिनों हम सभी कनिष्ठ अनुवादकों के
पदोन्नति आदेश जारी होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. यह स्वयं में बड़े खेद का
विषय है कि जो आदेश आज से लगभग एक वर्ष पूर्व ही जारी हो जाने चाहिए थे वे किसी न
किसी वजह से आज तक जारी नहीं किए जा सके हैं. जबकि संवर्ग के ही तमाम वरिष्ठ
अधिकारियों के पदोन्नति आदेश जारी हुए अरसा बीत चुका है. मामले की जड़ में जाकर
अगर देखें तो साफ हो जाता है कि यह विलंब केवल और केवल राजभाषा विभाग की अपनी
खामियों के कारण हुआ है जिसका खामियाजा सैकडों अनुवादकों को झेलना पड़ रहा है. कई
माह पूर्व विभाग ने अनुवादकों से ई.आर शीट के द्वारा अपना सेवा संबंधी विवरण उपलब्ध
कराने के निर्देश दिये. जिस समय एसोसिएशन के चुनाव हुए उस समय तक विभाग ई.आर शीट
मांग कर उनके प्राप्त होने की प्रतीक्षा कर रहा था. एसोसिएशन ने आते ही विभाग के
अधिकारियों से इस दिशा में शीघ्र कार्रवाई करने के लिए कहा तब विभाग ने अपनी
प्रक्रिया को तेज किया.
गलती
विभाग की थी परंतु कैडर के हित को देखते हुए हमने इन गलतियों का रोना रोने की बजाए
विभाग की सहायता करने का निर्णय लिया. विभाग द्वारा अनुवादकों से मांगी गई ई.आर.
शीट, सतर्कता निकासी, और अंत में उनके रैंक संबंधी दस्तावेजों को उपलब्ध कराने
में एसोसिएशन के सभी सदस्यों ने गंभीरता के साथ दिन रात एक करके इस दिशा में
कार्य किया.
पर
अब एक नई समस्या उत्पन्न हुई. राजभाषा विभाग के पास 1991, 1992
और 1993 के परीक्षा परिणाम उपलब्ध नहीं थे. राजभाषा
विभाग ने पूर्व में कर्मचारी चयन आयोग से सचिव स्तर तक हुए पत्राचार द्वारा इन्हें
प्राप्त करने का प्रयास किया, परंतु एसएससी ने ये परिणाम उपलब्ध कराने में
अपनी असमर्थता जाहिर की.कुछ अनुवादकों द्वारा उपलब्ध कराए गए विवरण में उनकी रैंक
संख्या गलत थी तो अनेक अनुवादकों ने रैंक का उल्लेख ही नहीं किया था. अब विभाग
ने उन सभी लोगों की रैंक मंगाने/ सुनिश्चित करने की प्रकिया शुरू की. काम आसान न
था. इसके लिए उन सभी अनुवादकों को उन कार्यालयों में जाना था जहां उन्होंने सेवा
की शुरूआत में पदभार ग्रहण किया था. और वहां अपनी पर्सनल फाइल से उस दस्तावेज की
प्रति हासिल करनी थी जो विभाग ने स्वयं अमुक कार्यालय को उस अनुवादक के डॉजियर
भेजते समय आवरण पत्र के रूप में भेजा था. बडी हास्यास्पद बात थी कि विभाग एक
अनुवादक से उस दस्तावेज की प्रति लाने के लिए कह रहा था जो स्वयं विभाग द्वारा
जारी किया गया था. हमें पता चला कि विभाग से वह फाइल भी गायब है जिस फाइल से ये
दस्तावेज जारी किए गए थे. यह अव्यवस्था एवं अकर्मण्यता की पराकाष्ठा थी.
परंतु
आज से बरसों वर्ष पूर्व मौजूद अधिकारियों की नाकामी का खामियाजा अनुवादक क्यों
भुगतें. मरता क्या न करता. हर अनुवादक ने दौड़ भाग करके ये दस्तावेज भी विभाग को
उपलब्ध कराए. पर इस दौरान तमाम अनुवादकों ने ऐसा करने में असमर्थता जताई अथवा
उनके विभागों से उन्हें रिकॉर्ड प्राप्त नहीं हुआ. तब एसोसिएशन के सदस्यों ने
भाग दौड कर स्वयं उनके कार्यालयों में जाकर ये दस्तावेज हासिल किए और उनके
रिकॉर्ड विभाग को उपलब्ध करवाए. परंतु कुछ अनुवादकों के विवरण हर संभव प्रयास के
बावजूद भी प्राप्त नहीं किए जा सके.
दूसरे
शब्दों में कहें तो एसोसिएशन ने विभाग की विगत गलतियों को नजरअंदाज कर विभाग की
हर मांग को पूरा किया. क्योकि हम चाहते थे कि पिछली गलतियां फिर से न दोहराई जाएं
और भविष्य में विभाग के कार्य में पारदर्शित आ सके. परंतु विभाग के अधिकारी समय
समय पर संवर्ग के हित में विभिन्न कदम उठाए जाने की आड़ में आश्वासन पर आश्वासन
देते रहे और यह स्वयं में बहुत कष्टप्रद था कि ऐन मौके पर विभाग कोई न कोई नई
अड़चन बता कर पदोन्नति आदेश जारी करने से बचता रहा.
हां, इस दौरान धैयपूर्वक कार्य करते रहने का सुफल
यह रहा कि हम वरीयता सूची से तमाम विसंगतियों को दूर कराने और वरीयता सूची को
सलेक्ट लिस्ट आधारित बनवाने में सफल रहे। इस पूरी कवायद का एक लाभ यह भी रहा कि
कनिष्ठ एवं वरिष्ठ अनुवादकों की सूची में से कुल 42 ऐसे अनुवादकों की पहचान हुई
जो या तो सेवा छोड़कर जा चुके हैं/दिवंगत हो चुके हैं. यह एक प्रकार से हमें 42 नए
पद मिलने जैसा था.
अब
फिलहाल की स्थिति के अनुसार 1991, 1992 और 1993 बैच के कुल 10-15 अनुवादकों की
रैंक विभाग को उपलब्ध नहीं हुई हैं. पूर्व में दिए गए आश्वासन के अनुसार विभाग
के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा था कि जिन अनुवादकों की रैंक प्राप्त नहीं होगी उन्हें
फिलहाल उनके बैच में सबसे अंत में रखकर आदेश जारी कर दिए जाएंगे और भविष्य में
जैसे ही उनके ये दस्तावेज प्राप्त हो जाएंगे उन्हें दुरूस्त कर लिया जाएगा. इस
दौरान एसोसिएशन के प्रतिनिधियों की संयुक्त सचिव (सेवा) से 4 बार बैठक हो चुकी
थी. लगभग डेढ़ माह पूर्व भी उन्होंने एसोसिएशन को वायदा किया कि अगले 20 दिनों
में ये आदेश जारी कर दिए जाएंगे परंतु ऐसा नहीं हुआ. हाल ही में विभाग ने एसोसिएशन
को आश्वासन दिया था कि दिनांक 12 अक्तूबर को एक अंतिम वरीयता सूची जारी की
जाएगी. जब ऐसा नहीं हुआ तो 15 अक्तूबर को एसोसिएशन के प्रतिनिधि राजभाषा विभाग के
अधिकारियों से मिले तो उन्होंने सूचित किया कि अब उन्हें कर्मचारी चयन आयोग से
वे सभी परीक्षा परिणाम मिलने की आशा है जो आज तक नहीं मिले थे. यह सबसे बड़ा
आश्चर्य था कि जो परीक्षा परिणाम पिछले एक वर्ष में उपलब्ध न हो सके वे अब रातों
रात कहां से पैदा हो गए. हमें बताया गया कि अब विभाग उन परीक्षा परिणामों की
प्रतीक्षा करेगा और उनके मिलने पर ही अंतिम वरीयता सूची जारी करेगा. अब हमारे सब्र
का बांध टूट चुका था. अब तक के अनुभव के आधार पर हम भविष्य में भी विभाग के आश्वासनों
पर विश्वास नहीं कर सकते थे.
उपर्युक्त समस्त घटनाक्रम हम आपसे इसलिए साझा
कर रहे हैं ताकि आप भी जान सकें कि अब तक क्या और क्यों हुआ. इसके बाद की हर
घटना हम आप सबसे सांझा करेंगे. दिनांक 15 अक्तूबर को ही एसोसिएशन ने प्रण लिया कि
अब इसके बाद विभाग की किसी भी अनावश्यक बात को स्वीकार नहीं किया जाएगा और आगे
की रणनीति बना कर कार्य प्रारंभ किया....
दिनांक 16 अक्तूबर, 2012
दोपहर 3.00 बजे
राजभाषा विभाग के संयुक्त सचिव (सेवा) के साथ
पांचवी बैठक
इस बैठक में भी श्री पाण्डेय ने एसएससी से
परीक्षा परिणाम प्राप्त होने की आशा व्यक्त की और आश्वासन दिया कि परीक्षा
परिणाम प्राप्त होते ही वह दो दिनों में डीपीसी आयोजित कर पदोन्नति आदेश जारी कर
देंगे एवं यदि एसएससी से इस सप्ताह के अंत तक परीक्षा परिणाम प्राप्त नहीं होंगे
तो वह उपलब्ध रिकॉर्ड के आधार पर कार्रवाई करेंगे.
दिनांक 17 अक्तूबर, 2012
प्रात: 11 बजे
कर्मचारी चयन आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ
बैठक
उपरोक्त परीक्षा परिणाम यथाशीघ्र प्राप्त हो
सके इसके लिए एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने स्वयं ही पहल कर एसएससी के वरिष्ठ
अधिकारियों से मिलना बेहतर समझा. इस क्रम में हम एसएससी के मैंबर तथा संबंधित निदेशक
से मिले. दोनों अधिकारियों ने इस घटनाक्रम पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए इस दिशा
में तत्काल सहायता करने का आश्वासन दिया है. इसी क्रम में हमें सूचित किया गया
कि 1993 का परीक्षा परिणाम एसएससी को मिल गया है एवं 1991 एवं 1992 के परीक्षा परिणाम
भी मिलने की संभावना है.
इधर हमने तय किया है कि यदि अगले दो दिनों में
परीक्षा परिणाम प्राप्त नहीं होते हैं तो हम योजनाबद्ध तरीके से सर्वप्रथम विभाग
से तुरंत आदेश जारी करने का आग्रह करेंगे. परंतु यदि विभाग द्वारा फिर कोई अडचन
खड़ी की गई तो हम तुरंत सचिव महोदय से मिलेंगे और फिर भी यदि समस्या का निदान
नहीं हुआ तो समस्त अनुवादक एक साथ माननीय गृह राज्य मंत्री जी से मिल कर अपना
दर्द उनके समक्ष रखेंगे. इससे आगे की योजना समय पर ही सबके साथ साझा की जाएगी. अब
हम किसी भी सूरत में और समय विभाग को नहीं दे सकते और अनुवादकों के साथ और अधिक अन्याय स्वीकार नहीं करेंगे. आप सबका सहयोग अपेक्षित है.
‘विभाग के
पास कई वैध प्रश्नों का उत्तर नहीं है जिसके बारे में आगे होने वाली आम सभा की
बैठक में विस्तारपूर्वक बताया जाएगा’