आज कैट की प्रिंसीपल बैंच की न्यायालय संख्या 1 में कनिष्ठ अनुवादकों के ग्रेड वेतन मामले पर सुनवाई हुई. अनुवादकों की अोर से प्रस्तुत हुए एडवोकेट ने अपना पक्ष माननीय न्याधीशों के समक्ष रखा । इस पर जब न्यायालय ने प्रतिवादी सरकारी पक्ष के अधिवक्ता से अपना पक्ष रखने के लिए कहा तो उन्होंने कहा कि वे अभी बहस के लिए तैयार नहीं हैं । उन्होंने तैयारी के लिए न्यायालय से समय का अनुरोध किया। इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए न्यायालय ने अगली तारीख 20 अक्तूबर, 2014 तय की है।
भला इन्हें और कितना समय चाहिए। बहस करने के लिए सरकारी पक्ष के पास कोई ठोस कारण नहीं है। बस इस तरह यह समय निकालना चाहते हैं ताकि केस कोर्ट में पिसता रहे। 7वें वेतन आयोग की सिफ़ारिशों में इस मामले में यदि कोई उपाय सुझाया जाता है तो वो इसे कोर्ट में प्रस्तुत करने की चेष्टा करेेंगे और परिष्कार का रास्ता सुझाएंगे ताकि सुनवाई पर इसका असर पडे़। यह एक सोची समझी रणनीति हो सकती है जिसका हमें अंदाजा नहीं लग पा रहा है। मेरी यह राय ग़लत भी हो सकती है लेकिन सरकारी पक्ष उलझन डालने का हर एक पैंतरा अपनाएगा। इसमें कोई दोराय नहीं हो सकता है।
ReplyDeleteमैं आपसे पूरी तरह सहमत हूँ रामेश्वर जी. सरकार अनुवादको को यह लाभ नहीं देना चाह रही है. अनुवादक यदि इस संबंध मे राजनाथ सिंह अथवा प्रधानमंत्री महोदय से यदि येन केन प्रकारेण नहीं मिलते तो यह कार्य बन पाना संभव नहीं दिख रहा। अब एसोसियेशन को अगला कदम इन उच्च पदाधिकारियों से मिलने की दिशा मे ही उठाना चाहिए। अथवा इस प्रसंग को भूल जाना ही बेहतर होगा। केवल अगली तारीख की प्रतीक्षा मात्र से कुछ नहीं होने वाला I अनेक अनुवादकों को यह लाभ मिल चुका है अतः यदि यदि मात्र यह मुद्दा ही रखा जाये कि एक ही पद पर आसीन कर्मचारियों के मध्य भेद-भाव नहीं किया जा सकता तब भी बात बन सकती है। किन्तु अब जाग जाइए, अब सोते रहने का वक्त निकल चुका, अब भी यदि नहीं जागे तो सब किए कराये पर पानी फिरना तय हैi
Deleteसरकारी पक्ष के अधिवक्ता अधिकतर बिना तैयारी के ही आते हैं. उनका उद्देश्य मामले को लट्काना ही होता है. वादी पक्ष के वकील को चाहिये कि वह इस तरह न्यायालय का कीमती समय बरबाद न करने दें. अनुवादकों के सभी मामले अधर में लटक रहे हैं. एसोसिएशन को थोडा और active चाहिये.
ReplyDeleteआप सही कह रहे हैं. सरकारी पक्ष के अधिवक्ता पूरी तरह लापरवाही बरतते हैं या कहिए कि यह उनके पैंतरों का हिस्सा है कि इस प्रकार के मामलों में अदालती कार्रवाई को श्ाीघ्र समाप्त होने से रोका जाए. जहां तक वादी पक्ष के वकील का प्रश्न है वह अपने स्तर पर माननीय न्यायधीश्ा से अपील ही कर सकता है.....परंतु हम सभी जानते हैं कि भारतीय न्यायिक व्यवस्था में इतने लूपहोल हैं कि जिनका लाभ अकसर सरकारी पक्ष द्वारा उठाया जाता है. फिर भी अनुवादकों की ओर से प्रस्तुत हुए अधिवक्ता ने इस बार भी दूसरे पक्ष को समय दिए जाने का विरोध किया था और आगे भी करेंगे.
Deleteइस केस में अनुवादक एसोसिएशन से कोई योगदान प्राप्त नहीं हो रहा है. इस केस को सीएसओएलएस के सैकड़ों अनुवादक मिलकर लड़ रहे हैं. और अपने स्तर पर श्रेष्ठ प्रयास इस केस को दे रहे हैं.
Deleteassociation is not active as per expectations. try to take cat judgement given 260 dt. 5/8/14 as supportive document and try to finish the case at the earliest , in the upcoming hearing on 20/10/14 and discuss about this judgement given cat , cuttack with your counsel . then see the result
ReplyDeleteनरेश जी, कृपया उपर्युक्त कैट के फैसले का लिंक यहां देने का कष्ट करें अथवा इसका पूरा केस नंबर अौर वादी का नाम बताने का कष्ट करें. यह मामला हमारे संज्ञान में नहीं है. और केस की कार्रवाई को समाप्त करना हमारे वश में होता तो वह हम अवश्य कर चुके होते :) हमारी अोर से हर संभव प्रयास इस दिशा में हो रहा है.
Deletejudgement is avai ble subordinate office transaltors assocaition face book page , you go to face book , there you go to npostig pages , in the second or 3rd page you will get the order copy of cuttack benchn of cat on 4600 gp judgement basing tp leena case ,if u want pl give ur email.id , i forwarded it immediately , try to take it as a supporting document during 20thnoct hearing and you comments only on fortnightly basis. try to make comments or replies on weekly basis
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