दोस्तो, 4600 ग्रेड वेतन मामले में
अपनी पिछली पोस्ट में हमने आपको बताया था कि किस तरह 4600 ग्रेड वेतन मामले की फाइल वित्त मंत्रालय द्वारा रिजेक्ट किए जाने
की बात को एसोसिएशन के अध्यक्ष और महासचिव महोदय द्वारा एसोसिएशन के साथी
पदाधिकारियों तथा अनुवादक समुदाय से पूरे दो माह तक छिपाए रखा गया और अब कई माह बाद
भी जब इस मामले पर अपडेट देने का नाटक किया गया तो एक बार फिर अनुवादकों को गुमराह
करने के लिए कहा गया कि एसोसिएशन के 'रिगरस पर्सुएशन'
से इसी फाइल को एक बार फिर वित्त मंत्रालय भेजा जा रहा है.
एसोसिएशन के पदाधिकारियों के इस दावे की भी इसी मंच पर हम पोल खोल चुके हैं. खैर,
इस सबके बावजूद, हमने पिछली गलतियों को
भुला कर एसोसिएशन के पदाधिकारियों को तुरंत उन तथ्यों को अनुवादकों से साझा करने
का अनुरोध किया था, जिनके आधार पर व्यय विभाग/ वित्त
मंत्रालय ने एसोसिएशन के प्रस्ताव को खारिज किया था. इस बारे में तमाम अनुवादक
साथियों के साथ साथ हम पूर्व पदाधिकारियों ने भी एसोसिएशन के पदाधिकारियों से कई
बार विनम्र निवेदन किए. मगर हठधर्मिता की सीमाएं अभी देखनी बाकी थीं. 1 अगस्त, 2013 को आखिरी पोस्ट में सब कुछ
सामने रखने के बावजूद आज तक न तो एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने न तो उन तथ्यों का
खुलासा किया न ही कोई भावी रणनीति अथवा कार्ययोजना से अनुवादक साथियों को अवगत
कराया. इससे अधिक दुखद स्थिति क्या होगी जहां महत्वपूर्ण मुद्दे हर गुजरते दिन
के साथ अपनी मौत मर रहे हैं और जिम्मेदार लोग मौन धारण कर बैठे हैं अथवा गुमराह
कर रहे हैं.
हमने
वायदा किया था कि हम हर बार अपेक्षित कार्रवाई का पहला मौका अपनी एसोसिएशन को ही
देंगे....और इस बार भी हम यही चाहते थे कि यह सूचना एसोसिएशन ही अनुवादकों को दे.
मगर ऐसा नहीं हुआ है. ये सूचना के अधिकार का युग है जहां कोई भी सूचना गोपनीय नहीं
रखी जा सकती. इधर हमने विभिन्न मंत्रालयों से जब इस मामले के दस्तावेजों को
हासिल करना शुरू किया तो कुछ नए तथ्य सामने आ रहे हैं. अब हम इस मामले की शुरूआत
से लेकर अंत तक के समस्त दस्तावेजों को हासिल कर रहे हैं. जल्द ही कुछ और तथ्यों
से आपको अवगत कराएंगे. फिलहाल नीचे उन तथ्यों का खुलासा किया जा रहा है जिनके
आधार पर व्यय विभाग ने एसोसिएशन के प्रतिवेदन को ठुकराया था:
Ministry of
Home Affairs may refer to their notes on Pre-page regarding up-gradation of
Grade Par of Jr. Hindi Translator of CSOLS from Rs 4200 to 4600 in the pay
scale of Rs 6500-10500 (pre-revised) in Pay Band 2.
2. The matter has
been examined in this Department and the observation made are as following:-
a) Prior to 6th CPC
the post of JHT of CSOLS were in the pre revised pay scale of Rs.5500-9000 and
is, therefore, not covered under this Department’s OM dated 13.11.2009 wherein
the posts which were in the pre revised pay scale of Rs.6500-10500 as on
01.01.2006, have been placed in the GP of Rs.4600/-. Hence the request of AM of
implementation of OM dated 13.11.2009 is not feasible in case of JHTs of CSOLS.
b) Further, it has
already been decided that there is no parity between the posts of CSOLS with
the Assistants/Stenographer Grade ‘C’ of CSS/CSSS. The posts belong to
different cadres, the duties & responsibilities of the posts, functions
performed, RRs, hierarchical levels etc. are entirely different. Thus the posts
are not comparable. The pay scale of JHT were upgraded from Rs.5000-8000 to
Rs.5500-9000 w.e.f.01.01.1996 on par with similar posts in Central Translation
Bureau and not on account of parity with the Assistants of CSS.
c) As the issue of
pay fixation order issued by Directorate of Revenue Intelligence, New Delhi in
respect of their JHT consequent upon the revision of pay structure of Grade Pay
of Rs.4600/- is concerned, the same has been issued without the approval of
Department of Expenditure and also not in order. Hence the grant of GP of
Rs.4600/- to JHT by Directorate of Revenue Intelligence, New Delhi is ab-initio
invalid.
d) As per prevalent
Government Policy, up-gradation of a post is done mainly on the basis of
increase in work load and adequate functional justification along with matching
savings by way of abolition of certain live posts. The instant proposal lacks
in the criteria necessary for up-gradation of posts.
e) In view of the
above, the instant proposal is not agreed to
3. Joint Secretary
(Pers.) has seen.
यह
आदेश 26.04.2013 को जारी
किया जा चुका था. मगर अनुवादकों को सूचना पूरे तीन माह बाद दी गई वह भी भ्रामक बयानों
के साथ.
खैर अब
जरा व्यय विभाग के निर्णय की समीक्षा की जाए. यहां कुछ सवाल उठते हैं जिनके जवाब
एसोसिएशन के अध्यक्ष अथवा महासचिव महोदय ही दे सकते हैं क्योंकि अध्यक्ष महोदय
समय समय पर यह दावा करते रहे थे कि वह इस मामले को ट्रैक कर रहे हैं. फिर ऐसा क्यों
हुआ :
* सबसे
पहले तो पहली पंक्ति ही होश उड़ाने वाली है "Ministry of Home Affairs
may refer to their notes". क्या एसोसिएशन के प्रतिवेदन को
मूल रूप में व्यय विभाग को प्रेषित करने की बजाए राजभाषा विभाग ने कोई नोट भेजा
था ?
* पेरा
सं. 2 में तमाम बातों के बीच 24.11.2008 के उस आदेश का जिक्र क्यों नहीं है जिसके आधार पर क. अनुवादकों को 1.1.2006 से 6500-10500 का ग्रेड दिया गया था. क्योंकि
हमारे इस रिप्रेजेंटेशन का पूरा दारोमदार इसी आदेश पर टिका था. इसका जिक्र ही न
होना अजीब नहीं है क्या ?
* पैरा
2 b, देखिए. पहली ही पंक्ति में पैरिटी की बात की गई है
" it has already been decided that there is no parity between the
posts of CSOLS with the Assistants/Stenographer Grade ‘C’ of CSS/CSSS". ये अपने आप में आश्चर्यजनक है कि हमने अपने प्रतिवेदन में कभी भी
पैरिटी को मुद्दा नहीं बनाया था. ये पैरिटी का मसला कैसे बीच में आया ?
* और
सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि एसोसिएशन द्वारा भेजे गए प्रतिवेदन के साथ
श्रीमती टी.पी.लीना द्वारा कैट, केरल उच्च न्यायालय और
सर्वोच्च न्यायालय में जीते गए केस के आदेशों की प्रतियां लगाई गईं थीं.....इन
आदेशों के बारे में एक भी शब्द व्यय विभाग के आदेश में नहीं है. क्या न्यायालयों
के आदेशों की प्रतियां एसोसिएशन के प्रतिवेदन के साथ व्यय विभाग को नहीं भेजी गईं
अथवा यदि भेजी गईं तो व्यय विभाग ने उन्हें नज़रअंदाज क्यों किया ?
* हमारे
द्वारा भेजे गए प्रतिवेदन में हमने केन्द्रीय सूचना आयोग में एक मामले की सुनवाई
में स्वयं व्यय विभाग की एक निदेशक स्तर की अधिकारी द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग
से एनआईसी फैसिलिटी में दिए गए वक्तव्य जिसका सार यह था कि " कनिष्ठ
अनुवादक 1.1.2006 को 6500-10500 (Pre-Revised) में ही है. इस तर्क के खंडन का भी कहीं कोई जिक्र नहीं है.
सवाल
कुछ और भी हैं जो कुछ लोगों के लिए अत्यंत असुविधाजनक हो सकते हैं....उन पर हम
पूरे दस्तावेजों के आ जाने के बाद ही बात करेंगे.
उधर
श्रीमती टी.पी लीना भी इस मामले में निरंतर हमसे संपर्क बनाए हुए हैं और यहां के
हालात देखकर चिंतित हैं. उनकी चिंता जायज है .....हम एक आधी जीती हुई जंग को अंजाम
तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं. उन्होंने कहा है कि...
"Heard that
finance ministry has turned down your request for 4600/- gp .Tell ur
association to bring an immediate stay on that order bcos if it is published
then it will become the law. Since thaere is already a supreme court verdict in
favour of 4600/- and also the fact that they cannot do this 4 years after issue
of their first order.Leena
...... Pls do
something fast.If assistants in CSS can get 4600/- why not translators who r
more qualified. Ur association shd ve filed a case immediately after mine was
over."
कुल
मिला कर यहां स्पष्ट है कि व्यय विभाग ने हमारे हर तर्क को नकारने का स्टैंडर्ड
बना रखा है... तय तो यही हुआ था कि वित्त मंत्रालय का उत्तर मिलते ही इस मामले
में बिना समय गंवाए अदालत का दरवाजा खटखटाया जाएगा....तो अब किस बात का इंतजार हो
रहा है? समय बीत रहा
है.....और हम सब हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. एसोसिएशन से एक बार फिर निवेदन है कि अब
इस बेहोशी से बाहर आकर अपनी पूरी ताकत इस मामले को न्यायालय में ले जाने पर
लगाएं....इस विषय में हम पूरी क्षमताओं के साथ आपका साथ देंगे.
इस विषय में की जा सकने योग्य कार्रवाई पर सुझाव तथा अपनी प्रतिक्रियाओं से हमें अवश्य अवगत कराएं । धन्यवाद ।