Saturday 27 October 2012

सप्ताह की रिपोर्ट : दिनांक 22 अक्टूबर से 26 अक्टूबर, 2012

नीचे दी गई सूचनाएं एसोसिएशन के फेसबुक पेज पर क्रमशः दिनांक 23, 25 तथा 26 अक्टूबर को प्रकाशित की गई थी. ब्लॉग के पाठकों की मांग पर इन्हें यहां प्रस्तुत किया जा रहा है...


दिनांक 23 अक्टूबर, 2012 

एसोसिएशन ने अपने अंतिम लेख के माध्यम से आप सभी को सूचित किया था कि विभाग द्वारा एसएससी से 1991 ,1992 तथा 1993 के परीक्षा परिणाम प्राप्त होने की आशा व्यक्त करने के बाद एसोसिएशन ने एसएससी के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाक़ात कर इस दिशा में शीघ्र कार्रवाई करने का अनुरोध किया था. अब एसएससी से हमें प्राप्त सूचना के अनुसार विभाग के पास केवल 1993 बैच का रिजल्ट उपलब्ध है ओर इसे वे शीघ्र ही राजभाषा विभाग को प्रेषित कर रहे हैं. कल सोमवार को एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने विभाग के सम्बंधित अधिकारियों से इस विषय में बातचीत की और एसएससी के पास रिजल्ट न होने के बारे में उन्हें सूचित किया. साथ ही इस स्थिति में आगे की कार्रवाई के बारे में पूछा. इस दौरान हमारे दिए गए सुझावों पर कार्रवाई का आश्वासन देते हुए विभाग के अधिकारियों ने कहा कि अब उपलब्ध रिकॉर्ड के आधार पर तथा एसएससी से 1993 का परिणाम आज प्राप्त होते ही अंतिम वरीयता सूची को विभाग की वेबसाईट पर अपलोड कर दिया जायेगा. उधर संयुक्त सचिव महोदय से डीपीसी हेतु अनुमति प्राप्त हो गई है. इस समय विभाग सभी कार्मिकों की गोपनीय रिपोर्ट की जांच कर रहा है. हमें आशा है ...हाँ सिर्फ आशा...विश्वास नहीं, कि दो दिनों में वरीयता सूची जारी कर दी जाएगी और तत्पश्चात अगले दो से तीन दिनों में वांछित आदेश जारी कर दिए जायेंगे. इसीलिए, दूसरी तरफ एसोसिएशन माननीय गृह राज्य मंत्री जी से मुलाक़ात के लिए समय मांग रही है ताकि विभाग की ओर से अब किसी प्रकार की अनावश्यक देरी न होने पाए.

दिनांक 25 अक्टूबर, 2012 
एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने आज दोपहर 3 बजे राजभाषा विभाग के अनुभाग अधिकारी (सेवा) से मुलाकर कर अंतिम स्थिति की जानकारी ली. हमें सूचित किया गया कि वरीयता सूची को अंतिम रूप दिया जा चुका है....और इसे मंगलवार तक विभाग की साईट पर डाला जायेगा. इस विलम्ब के सम्बन्ध में हमें कोई संतोषजनक उत्तर प्राप्त नहीं हुआ. 

दिनांक 26 अक्टूबर, 2012 
कैडर के विभिन्‍न ज्‍वलंत मुद्दों की समीक्षा तथा आगामी रणनीति को तय करने के लिए एसोसिएशन के सभी पदाधिकारियों की आज दोपहर एक बैठक संपन्‍न हुई. कनिष्‍ठ अनुवादकों के पदोन्‍नति के मामले में विभाग अपनी किसी भी समय सीमा की पालना नहीं कर रहा है...अतएव इन हालातों में तय किया गया कि एसोसिएशन के प्रतिनिधि सोमवार को ही राजभाषा विभाग के सचिव महोदय से मुलाकात करेंगे. इधर एसोसिएशन माननीय गृह राज्‍य मंत्री जी से मिलने का समय मांग रही है. इस बार हम सभी अनुवादक साथी एक साथ उनसे मिलकर अनुवादकों के साथ हो रहे अन्याय को रोकने के लिए तत्‍काल हस्‍तक्षेप की मांग करेंगे. पदोन्‍नति के मामले के साथ-साथ तमाम अन्‍य ज्‍वलंत मुद्दों जिनमें प्रमुखता से कैडर में तदर्थवाद को समाप्‍त करना, संवर्ग समीक्षा का पूरा लाभ कार्मिकों को दिए जाने, सभी पदों पर नियमित नियुक्ति तथा सहायक निदेशकों के पिछले पदों को पदोन्‍नति आधार पर भरे जाने, नए भर्ती नियमों में एसोसिएशन के सुझावों को शामिल करने, अनुवादकों हेतु ओपन पास दिए जाने समेत तमाम अन्‍य महत्‍वपूर्ण विषयों पर हम सब एक साथ अपनी बात रखेंगे. मंत्री जी से जल्‍द ही मिलने का समय मिलने की आशा है. मंत्री जी से मिलने से पूर्व एसोसिएशन एक आम सभा की बैठक आयोजित करना चाहेगी ताकि कुछ महत्‍वपूर्ण विषयों पर सहमति बन सके.

तो मित्रो आप सभी तैयार रहें... मंत्री जी से समय मिलते ही हम सब उनसे मिलेंगे. संगठित रहें...सकारात्‍मक रहें और अपनी साझी शक्ति में विश्‍वास रखें. हम जरूर जीतेंगे :)

Thursday 18 October 2012

अनुवादकों के साथ और अन्‍याय स्‍वीकार नहीं...


प्रिय मित्रो
इन दिनों हम सभी कनिष्‍ठ अनुवादकों के पदोन्‍नति आदेश जारी होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. यह स्‍वयं में बड़े खेद का विषय है कि जो आदेश आज से लगभग एक वर्ष पूर्व ही जारी हो जाने चाहिए थे वे किसी न किसी वजह से आज तक जारी नहीं किए जा सके हैं. जबकि संवर्ग के ही तमाम वरिष्‍ठ अधिकारियों के पदोन्‍नति आदेश जारी हुए अरसा बीत चुका है. मामले की जड़ में जाकर अगर देखें तो साफ हो जाता है कि यह विलंब केवल और केवल राजभाषा विभाग की अपनी खामियों के कारण हुआ है जिसका खामियाजा सैकडों अनुवादकों को झेलना पड़ रहा है. कई माह पूर्व विभाग ने अनुवादकों से ई.आर शीट के द्वारा अपना सेवा संबंधी विवरण उपलब्‍ध कराने के निर्देश दिये. जिस समय एसोसिएशन के चुनाव हुए उस समय तक विभाग ई.आर शीट मांग कर उनके प्राप्‍त होने की प्रतीक्षा कर रहा था. एसोसिएशन ने आते ही विभाग के अधिकारियों से इस दिशा में शीघ्र कार्रवाई करने के लिए कहा तब विभाग ने अपनी प्रक्रिया को तेज किया.

      गलती विभाग की थी परंतु कैडर के हित को देखते हुए हमने इन गलतियों का रोना रोने की बजाए विभाग की सहायता करने का निर्णय लिया. विभाग द्वारा अनुवादकों से मांगी गई ई.आर. शीट, सतर्कता निकासी, और अंत में उनके रैंक संबंधी दस्‍तावेजों को उपलब्‍ध कराने में एसोसिएशन के सभी सदस्‍यों ने गंभीरता के साथ दिन रात एक करके इस दिशा में कार्य किया.

      पर अब एक नई समस्‍या उत्‍पन्‍न हुई. राजभाषा विभाग के पास 1991, 1992 और 1993 के परीक्षा परिणाम उपलब्‍ध नहीं थे. राजभाषा विभाग ने पूर्व में कर्मचारी चयन आयोग से सचिव स्‍तर तक हुए पत्राचार द्वारा इन्‍हें प्राप्‍त करने का प्रयास किया, परंतु एसएससी ने ये परिणाम उपलब्‍ध कराने में अपनी असमर्थता जाहिर की.कुछ अनुवादकों द्वारा उपलब्‍ध कराए गए विवरण में उनकी रैंक संख्‍या गलत थी तो अनेक अनुवादकों ने रैंक का उल्‍लेख ही नहीं किया था. अब विभाग ने उन सभी लोगों की रैंक मंगाने/ सुनिश्चित करने की प्रकिया शुरू की. काम आसान न था. इसके लिए उन सभी अनुवादकों को उन कार्यालयों में जाना था जहां उन्‍होंने सेवा की शुरूआत में पदभार ग्रहण किया था. और वहां अपनी पर्सनल फाइल से उस दस्‍तावेज की प्रति हासिल करनी थी जो विभाग ने स्‍वयं अमुक कार्यालय को उस अनुवादक के डॉजियर भेजते समय आवरण पत्र के रूप में भेजा था. बडी हास्‍यास्‍पद बात थी कि विभाग एक अनुवादक से उस दस्‍तावेज की प्रति लाने के लिए कह रहा था जो स्‍वयं विभाग द्वारा जारी‍ किया गया था. हमें पता चला कि विभाग से वह फाइल भी गायब है जिस फाइल से ये दस्‍तावेज जारी किए गए थे. यह अव्‍यवस्‍था एवं अकर्मण्‍यता की पराकाष्‍ठा थी.

      परंतु आज से बरसों वर्ष पूर्व मौजूद अधिकारियों की नाकामी का खामियाजा अनुवादक क्‍यों भुगतें. मरता क्‍या न करता. हर अनुवादक ने दौड़ भाग करके ये दस्‍तावेज भी विभाग को उपलब्‍ध कराए. पर इस दौरान तमाम अनुवादकों ने ऐसा करने में असमर्थता जताई अथवा उनके विभागों से उन्‍हें रिकॉर्ड प्राप्‍त नहीं हुआ. तब एसोसिएशन के सदस्‍यों ने भाग दौड कर स्‍वयं उनके कार्यालयों में जाकर ये दस्‍तावेज हासिल किए और उनके रिकॉर्ड विभाग को उपलब्‍ध करवाए. परंतु कुछ अनुवादकों के विवरण हर संभव प्रयास के बावजूद भी प्राप्‍त नहीं किए जा सके.

      दूसरे शब्‍दों में कहें तो एसोसिएशन ने विभाग की विगत गलतियों को नजरअंदाज कर विभाग की हर मांग को पूरा किया. क्‍योकि हम चाहते थे कि पिछली गलतियां फिर से न दोहराई जाएं और भविष्‍य में विभाग के कार्य में पारदर्शित आ सके. परंतु विभाग के अधिकारी समय समय पर संवर्ग के हित में विभिन्‍न कदम उठाए जाने की आड़ में आश्‍वासन पर आश्‍वासन देते रहे और यह स्‍वयं में बहुत कष्‍टप्रद था कि ऐन मौके पर विभाग कोई न कोई नई अड़चन बता कर पदोन्‍नति आदेश जारी करने से बचता रहा.

        हां, इस दौरान धैयपूर्वक कार्य करते रहने का सुफल यह रहा कि हम वरीयता सूची से तमाम विसंगतियों को दूर कराने और वरीयता सूची को सलेक्‍ट लिस्‍ट आधारित बनवाने में सफल रहे। इस पूरी कवायद का एक लाभ यह भी रहा कि कनिष्‍ठ एवं वरिष्‍ठ अनुवादकों की सूची में से कुल 42 ऐसे अनुवादकों की पहचान हुई जो या तो सेवा छोड़कर जा चुके हैं/दिवंगत हो चुके हैं. यह एक प्रकार से हमें 42 नए पद मिलने जैसा था.

      अब फिलहाल की स्थिति के अनुसार 1991, 1992 और 1993 बैच के कुल 10-15 अनुवादकों की रैंक विभाग को उपलब्‍ध नहीं हुई हैं. पूर्व में दिए गए आश्‍वासन के अनुसार विभाग के वरिष्‍ठ अधिकारियों ने कहा था कि जिन अनुवादकों की रैंक प्राप्‍त नहीं होगी उन्‍हें फिलहाल उनके बैच में सबसे अंत में रखकर आदेश जारी कर दिए जाएंगे और भविष्‍य में जैसे ही उनके ये दस्‍तावेज प्राप्‍त हो जाएंगे उन्‍हें दुरूस्‍त कर लिया जाएगा. इस दौरान एसोसिएशन के प्रतिनिधियों की संयुक्‍त सचिव (सेवा) से 4 बार बैठक हो चुकी थी. लगभग डेढ़ माह पूर्व भी उन्‍होंने एसोसिएशन को वायदा किया कि अगले 20 दिनों में ये आदेश जारी कर दिए जाएंगे परंतु ऐसा नहीं हुआ. हाल ही में विभाग ने एसोसिएशन को आश्‍वासन दिया था कि दिनांक 12 अक्‍तूबर को एक अंतिम वरीयता सूची जारी की जाएगी. जब ऐसा नहीं हुआ तो 15 अक्‍तूबर को एसोसिएशन के प्रतिनिधि राजभाषा विभाग के अधिकारियों से मिले तो उन्‍होंने सूचित किया कि अब उन्‍हें कर्मचारी चयन आयोग से वे सभी परीक्षा परिणाम मिलने की आशा है जो आज तक नहीं मिले थे. यह सबसे बड़ा आश्चर्य था कि जो परीक्षा परिणाम पिछले एक वर्ष में उपलब्‍ध न हो सके वे अब रातों रात कहां से पैदा हो गए. हमें बताया गया कि अब विभाग उन परीक्षा परिणामों की प्रतीक्षा करेगा और उनके मिलने पर ही अंतिम वरीयता सूची जारी करेगा. अब हमारे सब्र का बांध टूट चुका था. अब तक के अनुभव के आधार पर हम भविष्‍य में भी विभाग के आश्‍वासनों पर विश्‍वास नहीं कर सकते थे.

उपर्युक्‍त समस्‍त घटनाक्रम हम आपसे इसलिए साझा कर रहे हैं ताकि आप भी जान सकें कि अब तक क्‍या और क्‍यों हुआ. इसके बाद की हर घटना हम आप सबसे सांझा करेंगे. दिनांक 15 अक्‍तूबर को ही एसोसिएशन ने प्रण लिया कि अब इसके बाद विभाग की किसी भी अनावश्‍यक बात को स्‍वीकार नहीं किया जाएगा और आगे की रणनीति बना कर कार्य प्रारंभ किया....

दिनांक 16 अक्‍तूबर, 2012
दोपहर 3.00 बजे
राजभाषा विभाग के संयुक्‍त सचिव (सेवा) के साथ पांचवी बैठक
इस बैठक में भी श्री पाण्‍डेय ने एसएससी से परीक्षा परिणाम प्राप्‍त होने की आशा व्‍यक्‍त की और आश्‍वासन दिया कि परीक्षा परिणाम प्राप्‍त होते ही वह दो दिनों में डीपीसी आयोजित कर पदोन्‍नति आदेश जारी कर देंगे एवं यदि एसएससी से इस सप्‍ताह के अंत तक परीक्षा परिणाम प्राप्‍त नहीं होंगे तो वह उपलब्‍ध रिकॉर्ड के आधार पर कार्रवाई करेंगे.

दिनांक 17 अक्‍तूबर, 2012
प्रात: 11 बजे
कर्मचारी चयन आयोग के वरिष्‍ठ अधिकारियों के साथ बैठक
उपरोक्‍त परीक्षा परिणाम यथाशीघ्र प्राप्‍त हो सके इसके लिए एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने स्‍वयं ही पहल कर एसएससी के वरिष्‍ठ अधिकारियों से मिलना बेहतर समझा. इस क्रम में हम एसएससी के मैंबर तथा संबंधित निदेशक से मिले. दोनों अधिकारियों ने इस घटनाक्रम पर आश्‍चर्य व्‍यक्‍त करते हुए इस दिशा में तत्‍काल सहायता करने का आश्‍वासन दिया है. इसी क्रम में हमें सूचित किया गया कि 1993 का परीक्षा परिणाम एसएससी को मिल गया है एवं 1991 एवं 1992 के परीक्षा परिणाम भी मिलने की संभावना है.

इधर हमने तय किया है कि यदि अगले दो दिनों में परीक्षा परिणाम प्राप्‍त नहीं होते हैं तो हम योजनाबद्ध तरीके से सर्वप्रथम विभाग से तुरंत आदेश जारी करने का आग्रह करेंगे. परंतु यदि विभाग द्वारा फिर कोई अडचन खड़ी की गई तो हम तुरंत सचिव महोदय से मिलेंगे और फिर भी यदि समस्‍या का निदान नहीं हुआ तो समस्‍त अनुवादक एक साथ माननीय गृह राज्‍य मंत्री जी से मिल कर अपना दर्द उनके समक्ष रखेंगे. इससे आगे की योजना समय पर ही सबके साथ साझा की जाएगी. अब हम किसी भी सूरत में और समय विभाग को नहीं दे सकते और अनुवादकों के साथ और अधिक अन्‍याय स्‍वीकार नहीं करेंगे. आप सबका सहयोग अपेक्षित है.

‘विभाग के पास कई वैध प्रश्‍नों का उत्‍तर नहीं है जिसके बारे में आगे होने वाली आम सभा की बैठक में विस्‍तारपूर्वक बताया जाएगा’

Wednesday 17 October 2012

सर्वोच्‍च न्‍यायालय में अनुवादकों के हित में हुए फैसले की शुभकामनाएं



प्रिय मित्रो, आप सभी श्रीमती टी.पी. लीना (कनिष्‍ठ अनुवादक) के केरला उच्‍च न्‍यायालय के उस केस से परिचित ही होंगे जिसमें केरला कैट बैंच ने श्रीमती लीना के एमएसीपी के मामले में उन्‍हें कनिष्‍ठ अनुवादक के तौर पर 4600 रू ग्रेड पे का हकदार मानते हुए तदनुसार क्रमश: 4800 एवं 5400 रू की एमएसीपी प्रदान करने के आदेश दिए थे. परंतु सरकार द्वारा मामले को केरला उच्‍च न्‍यायालय में चुनौती दी गई...और पुन: फैसला श्रीमती लीना के पक्ष में दिया गया था. इसके उपरांत श्रीमती लीना के विभाग ने मामले को सर्वोच्‍च न्‍यायालय में चुनौती दी. इसी दौरान एसोसिएशन श्रीमती लीना के संपर्क में आई और मामले पर निकट से निगरानी रखी जा रही थी. दिनांक 15.10.2012 को इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में एडमिट या खारिज करने के संबंध में पहली तारीख थी. आपको जानकर हर्ष होगा कि माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने इस मामले में सरकारी पक्ष में कोई मैरिट न देखते हुए इस एसएलपी को एडमिट नहीं किया है. यह अनुवादकों के हित में दूरगामी परिणाम लेकर आने वाला है. इससे न केवल कनिष्‍ठ अनुवादकों को 4600 ग्रेड पे का हक मिलेगा बल्कि क्रमश: 4800 एवं 5400 की एमएसीपी का मार्ग भी प्रशस्‍त होगा. 


इस संबंध में कुछ साथियों ने अनुवादक मित्रों से स्‍वतंत्र रूप से अपने अपने विभागों में अभ्‍यावेदन देने का अनुरोध किया है. इस संबंध में एसोसिएशन का मत है कि इस प्रकार सभी अनुवादकों द्वारा अपने अपने मंत्रालयों/विभागों को पृथक पृथक अभ्‍यावेदन दिए जाने से कोई विशेष लाभ नहीं होगा. क्‍योंकि कोई भी विभाग/मंत्रालय इस मामले में पार्टी नहीं था अतएव वे स्‍वत: इस आदेश की अनुपालना के लिए बाध्‍य नहीं हैं. ऐसे आवेदनों को वे स्‍पष्‍टीकरण हेतु राजभाषा विभाग अथवा वित्‍त मंत्रालय को अग्रेषित करेंगे. अब कल्‍पना कीजिए कि एक ही जैसे मामलों पर अलग अलग तरह के सैंकडों अभ्‍यावेदन इधर से उधर होंगे. जिससे गफलत का माहौल बनने की संभावना है. इस संबंध में माननीय सर्वोच्‍च न्‍यायालय के आदेश की प्रति प्राप्‍त होते ही एसोसिएशन राजभाषा विभाग को एक विस्‍तृत अभ्‍यावेदन प्रस्‍तुत करेगा. जिस पर विभाग से सभी मंत्रालयों/विभागों के लिए मान्‍य आदेश जारी करने का अनुरोध किया जाएगा. ताकि एक साथ सभी अनुवादक साथियों को इसका लाभ प्राप्‍त सके. इसलिए सभी अनुवादक साथियों से अनुरोध है कि अभी किसी प्रकार की जल्‍दबाजी न करें. एसोसिएशन इस संबंध में होने वाली प्रगति से नियमित रूप से आप सभी को सूचित करती रहेगी. 
हम श्रीमती टी.पी.लीना के साहस को सलाम करते हैं. कैडर के अनुवादकों को भी यही हक दिलाने के लिए एसोसिएशन कटिबद्ध है और इस दिशा में सभी आवश्‍यक कार्रवाई करेगी. फिलहाल सभी को शुभकामनाएं :)