Friday 28 November 2014

4600 ग्रेड वेतन केस के क्रम की प्रतीक्षा जारी है

प्रिय मित्रो, कनिष्‍ठ अनुवादकों से संबंधित ग्रेड वेतन मामले में दीपावली के उपरांत कोर्ट खुलते ही 27 अक्‍तूबर को इस केस की सुनवाई तय हुई थी. उस दिन हम लोग कई घंटों तक कोर्ट रूम में अपने केस की प्रतीक्षा करते रहे. मामला 74 वें नंबर पर सूचीबद्ध था. और दोपहर तक सुनवाई नहीं हो सकी...और लंच के बाद भी नंबर आने की संभावना नाममात्र ही थी. हुआ भी वही....उस दिन 20-25 मामलों को 'लिस्‍ट इन टर्न' घोषित कर दिया गया...अर्थात इन मामलों को कोर्ट की सुविधानुसार क्रमानुसार टेकअप किया जाएगा. इसलिए कोई तिथि निर्धारित नहीं की गई है. यह एक सामान्‍य अदालती प्रक्रिया है....इधर हमारे एडवोकेट ने सूचित किया है कि इस संबंध में हमें कोर्ट द्वारा नोटिस के माध्‍यम से सूचित किए जाने की संभावना है. जैसे ही इस संबंध में कोई भी सूचना प्राप्‍त होती है या प्रगति होगी....सबसे पहले आप सबके साथ सूचित किया जाएगा. 

Monday 20 October 2014

दीपावली अवकाश के कारण ग्रेड वेतन केस में सुनवाई टली

सभी अनुवादक साथियों को सूचित किया जाता है कि कनिष्‍ठ अनुवादकों से संबंधित 4600 रू ग्रेड वेतन वाले मामले में आज दिनांक 20 अक्‍तूबर, 2014 को सुनवाई के लिए तारीख तय की गई थी. परंतु दिल्‍ली स्थित सभी न्‍यायालयों में दीपावली के उपलक्ष्‍य में दिनांक 20 अक्‍तूबर, 2014 से 25 अक्‍तूबर, 2014 तक अवकाश घोषित कर दिया गया है. अवकाश के उपरांत कोर्ट खुलने पर इस मामले में सुनवाई के लिए नई तारीख तय की जाएगी. आशा है कि यह नई तारीख भी जल्‍द से जल्‍द ही रखी जाएगी. 

Wednesday 3 September 2014

ग्रेड वेतन मामले में अगली तारीख 20 अक्‍तूबर, 2014. सरकारी पक्ष बहस के लिए तैयार नहीं.

आज कैट की प्रिंसीपल बैंच की न्‍यायालय संख्‍या 1 में कनिष्‍ठ अनुवादकों के ग्रेड वेतन मामले पर सुनवाई हुई. अनुवादकों की अोर से प्रस्‍तुत हुए एडवोकेट ने अपना पक्ष माननीय न्‍याधीशों के समक्ष रखा । इस पर जब न्‍यायालय ने प्रतिवादी सरकारी पक्ष के अधिवक्‍ता से अपना पक्ष रखने के लिए कहा तो उन्‍होंने कहा कि वे अभी बहस के लिए तैयार नहीं हैं । उन्‍होंने तैयारी के लिए न्‍यायालय से समय का अनुरोध किया। इस अनुरोध को स्‍वीकार करते हुए न्‍यायालय ने अगली तारीख 20 अक्‍तूबर, 2014 तय की है। 

Monday 11 August 2014

4600 ग्रेड वेतन मामला कैट की प्रधान पीठ को सौंपा गया, अगली तारीख 3 सितंबर, 2014

प्रिय मित्रो, 
कनिष्‍ठ अनुवादकों के लिए 4600 रू ग्रेड वेतन मामले में आज कैट में सुनवाई के दौरान अनुवादकों की अोर से रिजॉइन्‍डर दायर कर दिया गया है. इसी के साथ इस मामले की प्रारंभिक अौपचारिकताएं पूरी हो गई हैं. अब इस मामले को सुनवाई के लिए मुख्‍य बैंच को ट्रांसफर कर दिया गया है. कैट न्‍यायालय के रोजमर्रा के कामकाज को देखते हुए कहा जा सकता है कि इस केस में तेजी से प्रगति हो रही है. आशा है अगले चरण भी तेजी से पूरे होंगे और कोई अच्‍छा परिणाम सामने आएगा. 

Thursday 7 August 2014

सी-सैट हटाओ आंदोलन, भाषा और सरकारी अनुवाद की संस्‍कृति

पिछले कुछ समय से देश भर में सिविल सेवा परीक्षा के अभ्‍यर्थी सी-सैट परीक्षा प्रणाली को हटाये जाने की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं. इन आंदोलनकारियों की इस परीक्षा प्रणाली से संबंधित तमाम आपत्तियों में प्रश्‍नों के अनुवाद में त्रुटियां, क्लिष्‍ट भाषा का प्रयोग, भारतीय भाषाओं की उपेक्षा जैसे गंभीर मुद्दे शामिल हैं. इस समय संसद से सड़क तक भाषा और अनुवाद का मसला राष्‍ट्रीय स्‍तर पर सुर्खियों का केन्‍द्र बना हुआ है. स्‍वतंत्र हिंदी अनुवादक श्री सुयश सुप्रभ के इस लेख में उन्‍होंने अनुवाद और विशेषकर सरकारी क्षेत्र के अनुवाद की शैली और संस्‍कृति को लेकर कुछ गंभीर प्रश्‍न उठाए हैं जिस पर अनुवादक समुदाय को अवश्‍य मंथन करना चाहिए. 
- मोडरेटर

सुयश सुप्रभ
सिविल सेवा परीक्षा में 2011 से लागू हुए सीसैट के विरोध में जो आंदोलन मुखर्जी नगर में शुरू हुआ उसकी गूँज अब भारत के कई राज्यों में सुनाई दे रही है। भारत में लंबे समय के बाद भाषा के मुद्दे पर इतना बड़ा आंदोलन उठ खड़ा हुआ है। सीसैट में अंग्रेज़ी और घटिया हिंदी अनुवाद के सहारे एक बड़े तबके को शासन व्यवस्था से बाहर रखने की साज़िश रची गई है। यह वही तबका है जो अपनी भाषाओं की मदद से देश की समस्याओं को केवल अंग्रेज़ी के जानकारों की तुलना में बेहतर ढंग से समझ सकता है। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि अंग्रेज़ी के जानकारों को अनुचित फ़ायदा पहुँचाकर लोक और तंत्र के बीच की दूरी बढ़ाने वाले सीसैट को बहुत हड़बड़ी में लाया गया।
सबसे पहले सीसैट से जुड़े आंदोलन में भाषा के राजनीतिक संदर्भों पर नज़र डालते हैं। अंग्रेज़ी के समर्थकों ने इसे हिंदी बनाम अंग्रेज़ी संघर्ष का रूप देने की कोशिश की है। इस काम में उन्हें मीडिया के अंग्रेज़ीदाँ तबके का भी सहयोग मिला है। ऐसा इस तथ्य के बावजूद हो रहा है कि आंदोलनकारियों ने अपने ज्ञापन में तमिल, कन्नड़ जैसी भारतीय भाषाओं में घटती सफलता दर के आँकड़े भी पेश किए हैं। 2011 में तमिल माध्यम के केवल 14 उम्मीदवार सिविल सेवा परीक्षा में कामयाब हुए थे। कन्नड़ में तो यह आँकड़ा और खराब था। उस साल इस भाषा के केवल पाँच लोग सफल हो पाए थे। आंदोलनकारियों ने अपने ज्ञापन में इन तमाम तथ्यों को शामिल किया है। इस तथ्य पर ध्यान देना ज़रूरी है कि 2013 में जहाँ कुल 1,122 उम्मीदवारों में से हिंदी माध्यम के 26 उम्मीदवारों को सफलता मिली वहीं तमाम अन्य भारतीय भाषाओं में कुल मिलाकर केवल 27 उम्मीदवार चुने गए। यहाँ क्षेत्रीय विविधता की कमी साफ़ तौर पर दिखती है। असल में यह आंदोलन लोकतंत्र के मूल्यों को बचाए रखने के बड़े मकसद की तरफ़ बढ़ सकता है। ऐसा तभी होगा जब भाषा के मसले को जनतांत्रिक मूल्यों के बड़े संदर्भ में देखा जाएगा। सरकार चाहे कांग्रेस की हो या भाजपा की, भारतीय भाषाओं के मामले में दोनों का एक जैसा ढुलमुल रवैया रहता है। हमारे देश में एक मूर्ति पर 200 करोड़ रुपये जितनी बड़ी राशि खर्च की जा सकती है, लेकिन भारतीय भाषाओं की प्रगति के लिए शिक्षण, पुस्तकालय आदि पर होने वाले खर्च में कटौती करने की बात कही जाती है।

आंदोलनकारियों ने सीसैट में घटिया अनुवाद को ग़ैर-अंग्रेज़ी माध्यम के उम्मीदवारों की सफलता की राह में रोड़ा बताया है। यहाँ इस बात पर ध्यान देना ज़रूरी है कि यूपीएससी की निगवेकर समिति ने भी इस परीक्षा में अनुवाद को बेहतर बनाने का सुझाव दिया है। अनुवाद की ग़लतियों को देखकर बहुत-से लोगों ने इस बात की जाँच करने की माँग की है कि कहीं ये ग़लतियाँ जान-बूझकर तो नहीं की जाती हैं। अंग्रेज़ी में लिखे प्रश्‍न में ‘land reforms’ को हिंदी में सुधारलिखना एक ऐसी ग़लती है जिससे उम्मीदवारों की सालों की मेहनत बर्बाद हो सकती है। मुख्य परीक्षा में भी अनुवाद इतना जटिल होता है कि अंग्रेज़ी में मूल पाठ पढ़े बिना उसका अर्थ समझना असंभव हो जाता है। 2012 में लोक प्रशासन के पहले प्रश्‍नपत्र में अनुवाद का एक उदाहरण देखिए - "राज्य उद्देश्य (स्टाट्सराइसन) के इस अमूर्त विचार के संतघोषण में अधिकारीतंत्र की अपनी स्वयं की शक्‍ति के परिरक्षण की दशाओं की निश्‍चित मूल-प्रवृत्तियाँ अभिन्न रूप से ग्रथित रहती हैं।" जहाँ एक-एक पल का महत्व हो, वहाँ इन लापरवाहियों से किस तबके को फ़ायदा होगा यह आप आसानी से समझ सकते हैं। इस मसले पर आवाज़ उठाते हुए आंदोलनकारियों को उस मानसिकता का भी विरोध करना होगा जिसमें केवल अंग्रेज़ी को भाषा और तमाम भारतीय भाषाओं को बोली का दर्ज़ा दिया जाता है।
हिंदी करोड़ों लोगों की भाषा होने के बावजूद न्याय व्यवस्था, प्रशासन आदि में अनुवाद की भाषा बनकर रह गई है। सरकारी हिंदी का अर्थ ही है अनूदित हिंदी। यह हिंदी जनता से बहुत दूर खड़ी नज़र आती है। इसके शब्द जनता के मुँह या कलम से निकले शब्द न होकर उन शब्दकोशों से निकले शब्द हैं जो अब अप्रासंगिक हो चुके हैं। जब देश में जनता के अधिकारों को छीनने की परंपरा विकसित हो जाती है तब उसे ऐसी भाषा की ज़रूरत पड़ती है जो बहुत बड़े तबके की समझ से बाहर हो। भारत में यह भूमिका अंग्रेज़ी और सरकारी हिंदी निभाती है। सामान्यको प्रसामान्यलिखकर इसे हिंदी उम्मीदवार के लिए अनावश्यक रूप से असामान्यबना दिया जाता है। सरकारी विभागों में इस हिंदी को प्रचलित करने में उन अधिकारियों की बहुत बड़ी भूमिका है जो हिंदी को संस्कृत बनाने की ज़िद पाल बैठे हैं। उन्हें हिंदी में संस्कृत को छोड़कर अन्य भारतीय भाषाओं के शब्दों के प्रयोग से भी चिढ़ होती है। असल में वे कभी अंग्रेज़ी तो कभी संस्कृत के कठिन शब्दों से भरी हिंदी के बहाने विशिष्ट होने की उच्चवर्गीय मानसिकता से ग्रस्त हैं। इस हिंदी में ऐसे बेजान शब्दों का प्रयोग किया जाता है जो संग्रहालय में भूसे से भरे शेर-बाघ की तरह पाठकों को केवल डराने का काम करते हैं। अनुवाद की भी अपनी अलग राजनीति होती है। जो भाषा आर्थिक दृष्टि से संपन्न होती है, उसके व्याकरण, वाक्य संरचना, शब्दावली आदि का दबाव उस भाषा पर देखने को मिलता है जो सामाजिक-आर्थिक दृष्टि से कमज़ोर होती है।
सिविल सेवा परीक्षा में अंग्रेज़ी के वर्चस्व और अनुवाद से जुड़ी समस्याओं को लेकर शुरू किया गया आंदोलन भारतीय भाषाओं को रोज़गार से जोड़ने के बड़े मकसद तक जा सकता है। ऐसा तभी होगा जब भारतीय भाषाओं में अच्छे शब्दकोश, विश्‍वकोश आदि उपलब्ध होंगे। इतिहास, समाजशास्त्र आदि विषयों में अच्छी किताबों की उपलब्धता भी ऐसे आंदोलन के लक्ष्यों में शामिल होनी चाहिए। शासक वर्ग ने बड़ी चालाकी से बुद्धिजीवियों में भी यह धारणा फैला दी है कि इन विषयों को भारतीय अंग्रेज़ी में ही पढ़ना चाहते हैं, जबकि सच तो यही है कि ऐसे लाखों उम्मीदवार हैं जो अच्छी किताबें नहीं उपलब्ध होने के कारण मजबूरी में अंग्रेज़ी माध्यम से परीक्षा देते हैं। सरकार से यह कहने का समय आ गया है कि करोड़ों रुपये खर्च करके मूर्ति बनवाना किताबें छपवाने से अधिक महत्वपूर्ण काम नहीं है। जब तक भाषा से जुड़े आंदोलनों में इन मुद्दों पर बात करके लंबे समय तक चलने वाले कार्यक्रम नहीं बनाए जाएँगे, तब तक सरकार के लिए किसी परीक्षा के संदर्भ में उठाए गए सवालों की अनदेखी करना आसान बना रहेगा।
(यह आलेख आग़ाज़ पत्रिका के प्रवेशांक (अगस्त अंक) में प्रकाशित हुआ है )

Tuesday 15 July 2014

4600 ग्रेड वेतन मामले में सरकारी पक्ष को दिया एक सप्‍ताह का समय, अगली तारीख 11 अगस्‍त

कनिष्‍ठ अनुवादकों हेतु 4600 ग्रेड वेतन की मांग को लेकर कैट में विचाराधीन मामले में अभी तक सरकारी पक्ष द्वारा अपना उत्‍तर प्रस्‍तुत नहीं किया गया था. अाज दिनांक 15 जुलाई, 2014 को मामले पर विचार करते हुए अदालत ने सरकारी वकील को अपना पक्ष प्रस्‍तुत करने के लिए एक सप्‍ताह का समय और दिया है तथा इसके बाद अगले 15 दिनों के अंदर अनुवादकों के समूह को अपना रिजॉइंडर फाइल करना होगा. इस मामले में अगली तारीख 11 अगस्‍त (सोमवार) तय की गई है।

Friday 16 May 2014

4600 केस में अगली तारीख 15 जुलाई, 2014 निर्धारित

प्रिय मित्रो, 
कनिष्‍ठ अनुवादकों हेतु कैट में विचाराधाीन 4600 ग्रेड पे वेतन संबंधी मामले में अगली तारीख 15 जुलाई, 2014 निर्धारित हुई है. सरकारी वकील निरंतर अदालत से समय मांग रहे हैं....अभी तक वित्‍त मंत्रालय अथवा राजभाषा विभाग द्वारा कोई उत्‍तर कोर्ट में प्रस्‍तुत नहीं किया गया है. 

Monday 7 April 2014

कैट प्रिंसीपल बैंच में आज अवकाश, ग्रेड वेतन संबंधी केस में अगली कार्रवाई 26 अप्रैल, 2014 को

प्रिय मित्रो, जैसा कि आप सभी जानते हैं कि कनिष्‍ठ अनुवादकों हेतु 4600 ग्रेड वेतन की मांग संबंधी सीएसअोएलएस के अनुवादकों के केस में आज 7 अप्रैल की तारीख तय थी. परंतु कैट के अादेशानुसार आज न्‍यायालय में अवकाश रहा और आज के दिन निर्धारित सभी मामले में 26 अप्रैल 2014 (शनिवार) को सुनवाई होगी. इस संबंध में प्रिंसीपल बैंच द्वारा जारी किया गया नोटिस इस प्रकार है : 

Thursday 13 March 2014

ग्रेड वेतन केस में अगली तारीख 7 अप्रैल, 2014

प्रिय मित्रो,
अनुवादकों हेतु 4600 रू ग्रेड वेतन की मांग संबंधी कैट केस में 10 मार्च, 2014 को दिल्‍ली कैट में विचाराधीन मामले में अगली तारीख 7 अप्रैल, 2014 नियत की गई है. 

 उल्‍लेखनीय है कि पिछली तारीख पर दोनों पार्टियों 1. राजभाषा विभाग 2. वित्‍त मंत्रालय को चार सप्‍ताह के दौरान अपना उत्‍तर प्रस्‍तुत करने के लिए कहा गया था. यह मियाद 21 फरवरी को समाप्‍त हो गई थी. परंतु 10 मार्च तक भी कोई जवाब प्रस्‍तुत नहीं किया गया है. उधर 10 मार्च को कोर्ट में प्रस्‍तुत हुए सरकारी वकील ने आग्रह किया कि उन्‍हें जवाब दायर करने के लिए और अधिक वक्‍़त दिया जाए. क्‍योंकि यह केस पहले से विभिन्‍न अदालतों द्वारा अनुवादकों के पक्ष में दिए गए फैसलों के आधार पर दायर किया गया है लिहाजा  अनुवादकों की ओर से प्रस्‍तुत वकीलों ने कोर्ट से दूसरे पक्ष को कम से कम वक्‍़त देने का आग्रह किया.  कोर्ट ने सरकारी पक्ष को और समय देते हुए 7 अप्रैल, 2014 तक अपना पक्ष प्रस्‍तुत करने के निदेश दिए हैं. 

ब्‍लॉग के संचालन में आई एक तकनीकी खराबी के कारण हम आपको 4600 केस की अपडेट समय से नहीं दे सके. आप सभी को इस सूचना के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ी इसका हमें खेद है. 

Friday 7 March 2014

Lets March towards Merger of Junior and Senior Translators.

Dear Friends, 7th pay commission has already been constituted. Soon they will start inviting representations from different stakeholders. But the big question here is, Are we ready for representing our demands ? Do we really know what and how we have to represent? If our representatives are interested in taking translator's views into account ? Among many issues, one pertains to the merger of Junior and Sr. Translators, which is just an absurdity for many of us. We are also aware of some so called logics for this differentiation, which lack any sound reason. This issue has been in the air for years but never chased seriously. Once again we are on the door-step of a new pay-commission. Mr. Deepak Dagar, Jr. Translator, Ministry of Economic Affairs is throwing some light on this issue. Lets us all think, discuss and decide how to proceed further on this issue.
-Moderator. 

MERGER OF SENIOR & JUNIOR TRANSLATOR

Deepak Dagar
Demand regarding the merger of aforesaid posts was raised at various times. As per the averments of the pervious association, a couple of years back, a proposal was made to the Cadre Reviewing Committee that these posts should be merged and designated as Translation Officer. This proposal was considered by the Department of Official Language and the Department of Expenditure during the process of Cadre Review, but the same was rejected by the Dept. of Expenditure and reasons for the rejection are still not known to the public in general except that the proposal became a victim of whims and fancies of few of our own  seniors. Rumors and stories are galore in this regard. Thereafter, no one endeavored for review on that proposal. At present, nothing is being done by current association in this aspect.

Now the time has awarded us another opportunity for this merger and definitely we should utilize it by representing this proposal to the 7th Pay Commission.

In case, the merger is accepted by the Pay Commission, pay and all other disparities between senior and junior translator will come to an end and in pursuant to the judgement of the Hon'ble Apex Court next MACP will be equivalent to Grade Pay of Assistant Director. Consequently, it will be highly beneficial for Junior Translators in pecuniary nature.

It is pertinent to mention here that this process will not affect any seniority; the seniority of all translators will remain same whatever is right now.

IF MERGER IS NOT FEASIBLE

If aforesaid merger could not be feasible due to any technical obstacle, in this case the post of Senior Translator may be designated as Translator Officer and it should be upgraded as Group – B (Gazetted) post in equivalent of the post of Section Officer (With 4800 GP).  Since, in past, senior translator was enjoying the pay scale of Section Officer. This disparity was raised only after 2006.

In this second scenario Junior Translator will be equivalent of Assistant (CSS) and Senior Translator will be equivalent of Section Officer (CSS).

To take a decision in aforesaid both situations is not beyond the jurisdiction of 7th Pay Commission.  But, unfortunately, present stakeholders of any association are not doing and also not trying to do anything in this aspect while the matter is already in their knowledge. It’s the call of time that we should come together and must do all possible efforts in this aspect and all responsible and relevant persons must furnish their strategy in this regard.  Now we are on doorstep where we have to decide whether we would like to keep ourselves tight-lipped or demand for that which is just, fair and reasonable. The associations must also disclose their strategy, if any.


Lets' come together and raise the voice.

Thursday 30 January 2014

सहायक निदेशक (रा.भा.) के पदों पर पदोन्‍नति हेतु कृपया विभाग को दस्‍तावेज उपलब्‍ध कराएं

संवर्ग के विभिन्‍न प्रैशर ग्रुप्‍स के प्रयासों के बाद अंतत: राजभाषा विभाग ने वरिष्‍ठ अनुवादक से सहायक निदेशक के पद पर पदोन्‍नति के लिए कार्रवाई प्रारंभ कर दी है. संवर्ग के साथी पिछले एक वर्ष से अधिक समय से पदोन्‍नाति की राह देख रहे थे. परंतु इस मामले में अत्‍यधिक विलंब हुआ और इस विलंब के कारण कुछ साथी पदोन्‍नति से कुछ समय पूर्व ही सेवानिवृत भी हो गए. यह दुखद स्थिति थी. अब सचिव (राजभाषा) महोदया ने पदोन्‍नति संबंधी प्रस्‍ताव को अपना अनुमोदन दे दिया है और विभाग ने कार्रवाई प्रारंभ कर दी है. राजभाषा विभाग के इस नवीनतम आदेश को देखें और जिन साथियों के दस्‍तावेज राजभाषा विभाग को चाहिएं वे कृपया तत्‍काल इन्‍हें विभाग को उपलब्‍ध कराने की कोशिश करें ताकि अब इस कार्य में और अनावश्‍यक विलंब न हो :

Tuesday 21 January 2014

Case admitted, Notices served to UOI and next date of hearing fixed for 10th March, 2014

Dear friends, 
Today our case pertaining to 4600 GP for Jr. Translators, Saurabh Arya & Others Vs Union of India (UOI), O.A. 166/2014 has been admitted in CAT. Notices has also been accepted by counsel for UOI. Now the govt. is supposed to file its reply within 4 weeks.

Next date for hearing has been fixed for 10th March, 2014. 

Thanks. 

Thursday 16 January 2014

4600 ग्रेड वेतन हेतु अनुवादकों का केस आज कैट में दर्ज हुआ.

दोस्‍तो, कनिष्‍ठ अनुवादकों के लिए 1.1.2006 से 4600 रू ग्रेड वेतन हेतु केस आज शाम कैट में दर्ज हो चुका है. इस केस पर हमारी पूरी टीम पिछले तीन माह से कार्य कर रही थी. हम मानते हैं कि केस दर्ज करने में आशा से कहीं अधिक समय लगा. हम 1 नवंबर को भी केस फाइल करने की स्थिति में थे परंतु अचानक कई ऐसे घटनाक्रम और तथ्‍य संज्ञान में आए जिन्‍हें केस में शामिल किया जाना अत्‍यंत आवश्‍यक लगा. फिर उन दस्‍तावेजों को हासिल करने की कवायद शुरू हुई. इस दौरान कई और चुनौतियां सामने आईं...जिनका हमने धैर्यपूर्वक सामना करना बेहतर समझा. केस के लेकर कोई भी उतावलापन या जल्‍दबाजी हम सबके साझे हितों के विरूद्ध जा सकती था. इसीलिए इस केस के लिए तीन बार ड्राफ्टिंग हुई. इस दौरान आप सब साथियों का भी धैर्यपूर्वक दिया गया सहयोग हमारा संबल रहा. आपका हमारी टीम के प्रति विश्‍वास ही हमें इस दिशा में मेहनत और संघर्ष करने के लिए निरंतर ऊर्जा देता रहा. सच तो यह है कि हम कुछ लोग आप सबके अटूट सहयोग के बिना कुछ नहीं कर सकते थे.

हम एक बार पुन: रेखांकित करना चाहेंगे कि यह केस पूरे कैडर के लिए लड़ा जा रहा है और संयोजन समिति में वे सदस्‍य भी शामिल हैं जोकि इस केस में पैटीशनर्स नहीं हैं. यहां मैं विशेष रूप से अपने साथी श्री दीपक डागर का नाम लेना चाहूंगा. इस केस के लिए उन्‍होंने हम सभी से ज्‍यादा परिश्रम किया है और वे रूवयं पैटीशनर्स में शामिल नहीं हैं. पांच पैटीशनर्स केवल औपचारिकता मात्र हैं. वास्‍तव में सीएसओएलएस का प्रत्‍येक अनुवादक इस केस का हिस्‍सा है. हम इस मामले को पुरजोर तरीके से न्‍यायालय की चौखट तक ले जा सकते थे अब इसका भविष्‍य न्‍यायालय के हाथों में है. अब हम सब लोग एक साथ मिलकर पूरी आशा और उत्‍साह के साथ इसे अंत तक लडेंगे.

केस कैट में दर्ज किया जा चुका है इसकी पहली तारीख अगले सप्‍ताह की शुरूआत में किसी भी दिन लगने की संभावना है. केस का नाम और इसकी संख्‍या सोमवार तक सभी से साझा की जा सकेगी. हम आपसे वायदा करते हैं कि इस केस में होने वाली हर महत्‍वपूर्ण प्रगति से ब्लॉग के माध्‍यम से निरंतर सभी साथियों को अवगत कराते रहेंगे.


अधीनस्‍थ कार्यालयों के साथियों के लिए : 
 पिछले कुछ महीनों के दौरान अधीनस्‍थ कार्यालयों के तमाम साथियों से संपर्क हुआ है कमोबेश सभी ने सूचित किया कि उनका विभाग उन्‍हें तभी यह लाभ देगा जब सीएसओएलएस को मिलेगा. हम सभी इस तथ्‍य से परिचित हैं कि अब सीएसओलएलएस और अधीनस्‍थ कार्यालयों के अनुवादक पैरिटी पर हैं. लिहाजा एक बार सीएसओएलएस को यह लाभ प्राप्‍त होने पर अधीनस्‍थ कार्यालयों के लिए इसे प्राप्‍त करना मात्र औपचारिकता ही होगी. हमें कदम दर कदम बढ़ना होगा. एक साथ हजारों लोगों के लिए यह लाभ मांगना तुलनात्‍मक रूप से दुष्‍कर होता. यदि हम इस केस को जीतते हैं तो अधीनस्‍थ कार्यालयों तक इस लाभ को पहुंचाने में हमारी टीम हर संभव मदद करेगी. आप निश्चिंत रहें.
(केस की औपचारिकताओं को पूरा करने के उपरांत दिल्‍ली हाईकोर्ट परिसर में बांए से श्री दीपक डागर, श्री ओमप्रकाश कुशवाहा, सुश्री पूनम विमल, श्रीमती विशाखा बिष्‍ट, श्री सौरभ आर्य एवं श्री राकेश श्रीवास्‍तव)

Wednesday 1 January 2014

सभी अनुवादक मित्रों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं.

सभी अनुवादक मित्रों को मोडरेटर पैनल की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं. आइए इस नव वर्ष में हम अपने संकल्‍पों को पूरा करें, नई मंजिलें निर्धारित करें और उन्‍हें तय करें, हौंसलों को बड़ा करें और बरसों से एक ढ़ाचे में जीने की आदत को छोड़कर नया सोचें....अपने आस-पास की दुनिया को और बेहतर बनाने की हर क्षण कोशिश करते रहें. तभी हम अनुवादकों की दुनिया और बेहतर बन सकेगी. आपको एवं आपके समस्‍त परिवार को पुन: मंगलकामनाएं :)