मित्रो, एसोसिएशन से उम्मीदें अब छोड़नी होंगी. 25 अक्तूबर को हुई बैठक के बाद एसोसिएशन को अवगत कराया गया था कि अनुवादक चाहते हैं कि यह केस अनुवादक एसोसिएशन के नाम से दर्ज हो. दूसरा, एसोसिएशन राजभाषा विभाग से तत्काल जनवरी, 2013 में सौंपे गए प्रतिवेदन पर रिजेक्शन लैटर प्राप्त करे. रिजेक्शन लैटर के लिए पहले शुक्रवार का दिन तय था मगर उस दिन अध्यक्ष महोदय किसी आवश्यक कार्य का हवाला देकर राजभाषा विभाग न चल सके. फिर सोमवार दोपहर पूर्व का समय तय किया गया. कई लोगों की मौजूदगी में तय हुआ था कि अध्यक्ष महोदय सोमवार दोपहर पूर्व हमारे साथ राजभाषा विभाग चलेंगे. मगर हमारे बार-बार संपर्क कर चलने की बात कहने के बावजूद वे बिना किसी को सूचित किए राजभाषा विभाग गए. मगर आज अभी तक हमारे पास राजभाषा विभाग का रिजेक्शन लैटर नहीं पहुंचा है. यहां तक कि एसोसिएशन द्वारा अभी तक विभाग को लिखित में कोई रिमाइंडर तक नहीं दिया गया है. अध्यक्ष महोदय से जब जब हम किसी विषय पर बात करते हैं वे मजबूर नज़र आते हैं. ये उनके संगठन के भीतर की मजबूरियां है अथवा उन पर कोई बाहरी दबाव हैं....वे ही जानते हैं जोकि वे कभी भी निर्णय ले पाने की स्थिति में नहीं होते है.
25 अक्तूबर को उन्हें अनुवादकों द्वारा पारित निर्णयों से अवगत कराने के उपरांत से हो रहे घटनाक्रम को देखते हुए कोऑर्डीनेशन कमेटी ने महसूस किया कि इस प्रकार यदि एसोसिएशन आज जनता के दबाव को देखते हुए केस फाइल करने के लिए तैयार भी हो गई तो भविष्य में भी इसी प्रकार की लचर कार्यप्रणाली के चलते हम कैसे भरोसा कर सकते हैं कि हमारे एसोसिएशन के साथी इस केस के साथ न्याय कर पाएंगे ? तमाम अदृश्य विवशताओं, दबावों और लंबे प्रोटोकोल में उलझे हमारे साथी कैसे इस कार्य को अंजाम तक पहुंचाएंगे हमारी समझ से परे था. यह गंभीर प्रश्न था. जिस पर अनुवादकों की कोऑर्डीनेशन कमेटी ने आपस में विचार विमर्श के उपरांत निर्णय लिया कि अध्यक्ष महोदय से आग्रह किया जाए कि यदि वे सैद्धांतिक रूप में एसोसिएशन के नाम से केस लड़ने के लिए सहमत हों तो (कल दोपहर तक एक बैठक में वे सहमत नहीं थे) अनुवादकों की कोऑर्डीनेशन कमेटी के दो सदस्यों को अधिकार पत्र देकर इस केस में औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए अधिकृत कर दें. ताकि केस एसोसिएशन के नाम से ही रजिस्टर हो, संवर्ग में एक अच्छा संदेश जाए और केस में सारी मेहनत अनुवादक स्वयं करेंगे. इस प्रस्ताव पर अध्यक्ष महोदय को कल शाम 5 बजे तक हमें उत्तर देना था मगर अफसोस की बात है कि अभी तक कोई उत्तर नहीं दिया गया है. न ही इस संबंध में प्रेषित संदेश का कोई उत्तर मिला है. यह पहले ही स्पष्ट कर दिया गया था कि यदि कोई उत्तर नहीं मिला तो इसे आपकी ना ही समझा जाएगा.
25 तारीख को अपनी भली-भांति चल रही कार्रवाई को विराम देकर तब से अब तक हम एसोसिएशन का मुंह ताक रहे थे. नतीजा ढ़ाक के तीन पात ही रहा. अब और इंतजार कर समय बर्बाद नहीं किया जा सकता.
इसलिए तय रहा कि कल से हमारी कोऑर्डीनेशन टीम फिर से काम पर जुट रही है.
हमें अभी भी एसोसिएशन से कोई शिकायत नहीं है. अनुवादक इस कार्य को करने के लिए सक्षम हैं और वे इसे बिना किसी संदेह के पूरा भी करेंगे. आपसे विनती है कि रिजेक्शन लैटर जैसे कार्य जो केवल एसोसिएशन ही कर सकती है पूरा करने का कष्ट करें. हम आपके आभारी होंगे. हमें आशा है कि छोटी-मोटी औपचारिकताओं में जहां एसोसिएशन की आवश्यकता होगी एसोसिएशन हमारी मदद करेगी.
चलिए मित्रो सब कुछ भूल कर जुट जाते हैं लक्ष्य पर !!!
25 अक्तूबर को उन्हें अनुवादकों द्वारा पारित निर्णयों से अवगत कराने के उपरांत से हो रहे घटनाक्रम को देखते हुए कोऑर्डीनेशन कमेटी ने महसूस किया कि इस प्रकार यदि एसोसिएशन आज जनता के दबाव को देखते हुए केस फाइल करने के लिए तैयार भी हो गई तो भविष्य में भी इसी प्रकार की लचर कार्यप्रणाली के चलते हम कैसे भरोसा कर सकते हैं कि हमारे एसोसिएशन के साथी इस केस के साथ न्याय कर पाएंगे ? तमाम अदृश्य विवशताओं, दबावों और लंबे प्रोटोकोल में उलझे हमारे साथी कैसे इस कार्य को अंजाम तक पहुंचाएंगे हमारी समझ से परे था. यह गंभीर प्रश्न था. जिस पर अनुवादकों की कोऑर्डीनेशन कमेटी ने आपस में विचार विमर्श के उपरांत निर्णय लिया कि अध्यक्ष महोदय से आग्रह किया जाए कि यदि वे सैद्धांतिक रूप में एसोसिएशन के नाम से केस लड़ने के लिए सहमत हों तो (कल दोपहर तक एक बैठक में वे सहमत नहीं थे) अनुवादकों की कोऑर्डीनेशन कमेटी के दो सदस्यों को अधिकार पत्र देकर इस केस में औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए अधिकृत कर दें. ताकि केस एसोसिएशन के नाम से ही रजिस्टर हो, संवर्ग में एक अच्छा संदेश जाए और केस में सारी मेहनत अनुवादक स्वयं करेंगे. इस प्रस्ताव पर अध्यक्ष महोदय को कल शाम 5 बजे तक हमें उत्तर देना था मगर अफसोस की बात है कि अभी तक कोई उत्तर नहीं दिया गया है. न ही इस संबंध में प्रेषित संदेश का कोई उत्तर मिला है. यह पहले ही स्पष्ट कर दिया गया था कि यदि कोई उत्तर नहीं मिला तो इसे आपकी ना ही समझा जाएगा.
25 तारीख को अपनी भली-भांति चल रही कार्रवाई को विराम देकर तब से अब तक हम एसोसिएशन का मुंह ताक रहे थे. नतीजा ढ़ाक के तीन पात ही रहा. अब और इंतजार कर समय बर्बाद नहीं किया जा सकता.
इसलिए तय रहा कि कल से हमारी कोऑर्डीनेशन टीम फिर से काम पर जुट रही है.
हमें अभी भी एसोसिएशन से कोई शिकायत नहीं है. अनुवादक इस कार्य को करने के लिए सक्षम हैं और वे इसे बिना किसी संदेह के पूरा भी करेंगे. आपसे विनती है कि रिजेक्शन लैटर जैसे कार्य जो केवल एसोसिएशन ही कर सकती है पूरा करने का कष्ट करें. हम आपके आभारी होंगे. हमें आशा है कि छोटी-मोटी औपचारिकताओं में जहां एसोसिएशन की आवश्यकता होगी एसोसिएशन हमारी मदद करेगी.
चलिए मित्रो सब कुछ भूल कर जुट जाते हैं लक्ष्य पर !!!