Thursday 22 August 2013

4600 ग्रेड वेतन का मामला: एक ठोस रणनीति और तत्‍काल कार्रवाई की जरूरत.

मित्रो, हम सभी जानते हैं कि कनिष्‍ठ अनुवादकों हेतु 4600 रू ग्रेड वेतन का मामला अत्‍यंत संवेदनशील है एवं इस समय सीएसओएलएस सहित देश भर के अनुवादक इस मामले में जल्‍द से जल्‍द किसी सकारात्‍मक परिणाम की प्रतीक्षा कर रहे हैं । परंतु हाल ही में इस विषय में कुछ डवलपमेंट हुई हैं जिन्‍हें जानना और समझना अनुवादकों के लिए अपरिहार्य है. क्‍योंकि किसी भी अगले कदम को उठाने से पहले हमें यह समझना आवश्‍यक है कि हम कहां गलती कर रहे हैं....हमसे कहां चूक हो रही हैं....और अगले प्रयासों में किन सावधानियों की आवश्‍यकता है. इस मामले के संबंध में एक पोस्‍ट अनुवादक मंच के संचालकों द्वारा 1 अगस्‍त, 2013 को सीएसओलएस की फेसबुक कम्‍यूनिटी में पोस्‍ट की थी. जिसके प्रत्‍युत्‍तर में अभी तक केन्‍द्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा अनुवादक एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने अपना पक्ष प्रस्‍तुत नहीं किया है न ही कोई भावी रणनीति प्रस्‍तुत की है. उस मूल पोस्‍ट का संपादित अंश आप सबके लिए यहां प्रस्‍तुत किया जा रहा है ।
- मोडरेटर

हाल ही में एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कनिष्‍ठ अनुवादकों हेतु 4600 रू ग्रेड वेतन संबंधी एक दुखद समाचार बहुत हल्‍के से अपने नए ब्‍लॉग पर अपनी पहली पोस्‍ट में संवर्ग के साथियों से शेयर किया था. और उससे भी दुखद यह है कि एसोसिशन के पदाधिकारी पूरे संवर्ग को इस मुद्दे पर अभी भी गुमराह कर रहे हैं. इधर कुछ अनुवादकों ने वित्‍त मंत्रालय और राजभाषा विभाग की ख़ाक छानी और कुछ वरिष्‍ठ अधिकारियों से सीधे बातचीत कर वस्‍तुस्थिति का पता लगाने की कोशिश की. हमें अपने सूत्रों से इस संबंध में पहले ही जान‍कारियां मिल रही थीं परंतु फिर भी एक उम्‍मीद थी कि कम से कम अब तो एसोसिएशन के पदाधिकारी सच को स्‍वीकार करते हुए अनुवादकों के सामने आएंगे और कोई ठोस रणनीति बनाकर इस गंभीर मुद्दे पर आगे कार्य करेंगे. परंतु सच बहुत कड़वा है. आइए समझें कि मामला क्‍या है. 

एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने दिनांक 26 जुलाई, 2013 को अपने नए ब्‍लॉग पर निम्‍न पंक्तियों में इस मुद्दे पर अपडेट दी है : 

'Granting Grade Pay of Rs. 4600/- to Junior Hindi Translators-

The matter having been represented by the Association and initially rejected by Deptt. of Expenditure, it has once again been referred to Deptt. of Expenditure for examination after this Association's rigorous persuasion.' 

गौरतलब है कि कनिष्‍ठ अनुवादकों हेतु 4600 रू ग्रेड वेतन का मामला जनवरी, 2013 में सचिव महोदय के साथ हुई एक बैठक में एसोसिएशन ने उन्‍हें सौंपा था. ये घोर आश्‍चर्य की बात थी कि उस बैठक के बाद पदाधिकारियों के संज्ञान में कभी भी इस मामले का फॉलो अप नहीं किया गया....हम लगातार इस संबंध में अध्‍यक्ष श्री दिनेश कुमार सिंह से इस विषय में पूछताछ करते रहे मगर हर बार टालमटोल के साथ जवाब दिए गए. यहां तक कि इस मामले की फाइल वित्‍त मंत्रालय में पहुंचने के बाद अध्‍यक्ष इस मामले को किस प्रकार फॉलो अप कर रहे थे और उन्‍हें क्‍या जानकारियां मिल रही थीं, हमें अथवा कार्यकारिणी को नहीं बताया गया. (आपको स्‍मरण ही होगा कि जनवरी से लेकर 11 जुलाई, 2013 तक एसोसिएशन की कोई बैठक की नहीं बुलाई गई). यह हमारे लिए बहुत आश्‍चर्य की बात थी कि अध्‍यक्ष और महासचिव इस मामले पर इतनी लापरवाही क्‍यों बरत रहे थे ? खैर, हमें फिर भी विश्‍वास था कि वे इस मामले में किसी भी महत्‍वपूर्ण घटनाक्रम पर सभी पदाधिकारियों से अवश्‍य चर्चा करेंगे. परंतु ऐसा नहीं हुआ....इस दौरान इधर उधर से हमें ज्ञात हुआ कि महासचिव श्री अजय कुमार झा कुछ लोगों के आगे इस बारे में स्‍वीकार चुके हैं कि यह फाइल व्‍यय विभाग, वित्‍त मंत्रालय द्वारा टर्न डाउन की जा चुकी है. हमें सुनकर यकीन नहीं हुआ क्‍योंकि हमें विश्‍वास था कि ऐसा होने पर दोनों पदाधिकारी अवश्‍य ही कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर सभी विचार-विमर्श कर आगे की रणनीति तय करेंगे. परंतु इस ख़बर के आने के डेढ़ माह बाद तक कोई कार्यकारिणी की बैठक नहीं बुलाई गई.

और जब 11 जुलाई, 2013 को बैठक बुलाई भी गई तो उस बैठक में हमारे और लगभग सभी कार्यकारिणी सदस्‍यों ने पिछले 6 माह के डवलपमैंट पर अपडेट जाननी चाही तो महासचिव श्री अजय कुमार झा 'बताने के लिए कोई अपडेट नहीं है' कह कर बैठक से उठ लिए. हमारे बार-बार आग्रह पर भी वे किसी भी मुद्दे पर वे कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं थे. चूंकि, 4600 ग्रेड वेतन मामले में हम उनके द्वारा कुछ लोगों को दी गई सूचना के बारे में सशंकित थे इसलिए जब जोर देकर इस मामले का सच बताने का दबाव दिया तो उन्‍होंने बताया कि यह फाइल टर्न डाउन हो चुकी है. यह पूरी कार्यकारिणी के लिए दुख और आश्‍चर्य का विषय था कि इतने महत्‍वूर्ण घटनाक्रम पर वे पिछले डेढ माह से चुप्‍पी साधे बैठे थे. बहाना दिया गया कि अभी लिखित में वित्‍त मंत्रालय से कुछ नहीं आया है.....हम पुन: पूछना चाहते हैं कि ऐसे संवेदनशील मामलों को पूरी तरह ताबूत में दफन होने के बाद ही कुछ किया जाता है क्‍या? अगर उन्‍हें कहीं से यह उडती ख़बर भी हाथ लगी थी तो कम से कम साथी पदाधिकारियों अथवा कार्यकारिणी के साथ संभावित स्थिति पर चर्चा कर आगे की रणनीति तैयार की जा सकती थी. इस सब को छोडिए.....इससे भी अधिक आश्‍चर्य और दुख की बात यह थी कि 11 जुलाई, 2013 को भी हमारे दोनों वरिष्‍ठ पदाधिकारियों के पास इस मामले में कोई भावी रणनीति अथवा योजना नहीं थी. यह वह क्षण था जब दोनों पदाधिकारी पूरे अहंकार के साथ हर प्रश्‍न को टाल रहे थे और एक तरह से कार्यकारिणी को धता बता रहे थे और ये बैठक बिना किसी नतीजे के समाप्‍त हुई. साफ जाहिर था कि हमारे पदाधिकारी इस मुद्दे के प्रति संवेदनशील नहीं हैं. यही वह मोड़ था जहां हमारा पिछले 6 माह का धैर्य जवाब दे चुका था. हम इसी बैठक में अपने त्‍यागपत्र देने की बात कह कर उठे. हम देख चुके थे इस प्रकार एक संवेदनशील मुद्दा अकर्मण्‍यता की भेंट चढ़ता जा रहा है. 

कुछ पदाधिकारियों और सदस्‍यों के इस्‍तीफों ने शायद थोड़ा दबाव बनाया हो जिससे तुरंत इन पदाधिकारियों ने संयुक्‍त सचिव महोदया के साथ एक बैठक की और अगली बैठक में कार्यकारिणी के सदस्‍यों को कुछ मोटी मोटी सूचनाएं दी गईं. हमें देखकर अच्‍छा लगा कि चलो कम से कम अब जागे तो अभी सवेरा. और अब नए शुरू किए गए ब्‍लॉग की पहली पोस्‍ट में कहा गया कि

'Granting Grade Pay of Rs. 4600/- to Junior Hindi Translators-
The matter having been represented by the Association and initially rejected by Deptt. of Expenditure, it has once again been referred to Deptt. of Expenditure for examination after this Association's rigorous persuasion.' 

मगर ये मीठी गोली हमें हजम नहीं हुई. 

इस मीठी गोली का दूसरे शब्‍दों में साफ अर्थ यह है कि अनुवादकों को विश्‍वास दिलाया जा रहा है कि इस विषय में एसोसिएशन के 'रिगरस पर्सुएशन' से यह मामला दोबारा वित्‍त मंत्रालय को भेजा जा रहा है. हमें यहीं शक हुआ कि वित्‍त मंत्रालय ने जिस मामले पर अपना फैसला देने में 6 माह लगाए हों और एसोसिएशन की मांग को ठुकरा दिया हो उसी मामले पर दोबारा वह क्‍यों विचार करेगा. एक ही प्रस्‍ताव पर बार-बार विचार करने की प्रथा भारत सरकार में हमने तो नहीं सुनी थी. दूसरे, एसोसिएशन ने यह भी बताने की जहमत नहीं उठाई कि व्‍यय विभाग ने इस मामले को किस आधार पर ठुकराया है ? वह कौन सा तर्क था जिसके आगे एसोसिएशन के सारे तर्क काम न कर सके. यह जानना अनुवादकों के लिए बहुत आवश्‍यक है ताकि ग्रेड वेतन के लिए इस लड़ाई के अगले चरणों के लिए और मजबूती से कार्य किया जा सके. और एक घड़ी के लिए मान भी लें कि यह फाइल फिर से व्‍यय विभाग को भेजी भी जाती है तो क्‍या हम फिर से 6 महीने व्‍यय विभाग के उत्‍तर का इंतजार कर सकते हैं ? इधर सातवां वेतन आयोग की घोषणा हुई नहीं कि हम कुछ नहीं कर पाएंगे और फिर भविष्‍य में उसी तरह अपने हक के लिए लड़ते नज़र आएंगे जैसे आज हमारे संवर्ग के वरिष्‍ठ अधिकार 1986 से 1996 के बीच एसिस्‍टेंट से पैरिटी की मांग करते हुए अपने एरियर्स के लिए न्‍यायालयय में लड़ रहे हैं. 

एसोसिएशन की यह बात गले से नीचे नहीं उतर रही थी और हमने स्‍वयं मामले की पड़ताल की. वित्‍त मंत्रालय और राजभाषा विभाग के अधिकारियों के साथ दिन भर चली बैठकों के बाद सारी स्थिति हमारे सामने साफ हो गई. यह साफ हो चुका है कि

1. व्‍यय विभाग कनिष्‍ठ अनुवादकों हेतु 4600 रू की मांग को सिरे से ठुकरा चुका है. 

2. जिन अन्‍य अधीनस्‍थ कार्यालयों आदि में कनिष्‍ठ अनुवादकों को 4600 ग्रेड वेतन दिया गया है उनके संबंध में व्‍यय विभाग का कहना है कि इस संबंध में व्‍यय विभाग का कोई अनुमोदन नहीं लिया गया है और उन कार्यालयों में 4600 वेतन दिया जाना गलत है.

3. तब राजभाषा विभाग के अधिकारियों से हमारे यह पूछने पर क्‍या एसोसिएशन द्वारा दिए गए 4600 ग्रेड वेतन के प्रस्‍ताव को पुन: व्‍यय विभाग भेजा जा रहा है तो उन्‍होंने इस बात को सिरे से नकारा और उल्‍टा हमसे पूछा कि व्‍यय विभाग जब एक से अधिक बार इस मामले को ठुकरा चुका है तो इसे वहां बार बार भेजने का क्‍या औचित्‍य है? अनुवादक एसोसिएशन का कोई प्रस्‍ताव व्‍यय विभाग को दोबारा नहीं भेजा जा रहा है.
 
4. कुछ ऐसे अधीनस्‍थ कार्यालयों जिन्‍होंने अपने अनुवादकों को 4600 रू वेतन ग्रांट कर दिया था उन्‍हें राजभाषा विभाग पत्र भेज चुका है कि वित्‍त मंत्रालय के अनुसार ग्रेड वेतन 4200 ही है । साफ है कि जिन अधीनस्‍थ कार्यालयों में 4600 ग्रेड वेतन दिया गया है वहां के अनुवादकों से अब रिकवरी की जाएगी. 

हमारे पैरो के नीचे से जमीन निकल चुकी थी. और जो हम सुन रहे थे उस पर विश्‍वास नहीं कर पा रहे थे. और कुछ प्रश्‍न दिलोदिमाग को परेशान कर रहे थे : 

* पदाधिकारियों ने इस फाइल के टर्न डाउन होने की खबरों को अनुवादकों, एसोसिएशन के पदाधिकारियों और कार्यकारिणी से क्‍यों छिपाया?

* अभी भी पदाधिकारी अनुवादक साथियों को गुमराह क्‍यों कर रहे हैं ?

* एसोसिएशन के प्रतिवेदन पर व्‍यय विभाग ने क्‍या जवाब दिया है यह अनुवादकों को क्‍यों नहीं बताया जा रहा है ?

* मामले की सच्‍चाई जनता के समक्ष रखकर सबकी राय क्‍यों नहीं ली जा रही है ?

* क्‍या एसोसिएशन को यह लगता है कि मामले में कोई मैरिट नहीं है ?

* यदि ऐसा है तो एसोसिएशन स्थिति स्‍पष्‍ट क्‍यों नहीं कर रही है ताकि अनुवादक एसोसिएशन से उम्‍मीद लगा कर न बैठे रहें ? 

इसके बाद हमने विभिन्‍न विभागों में अपने विश्‍वस्‍त सूत्रों से और जानकारियां हासिल की तो पता चला कि अधिकारी एसोसिएशन ने कनिष्‍ठ अनुवादकों हेतु 4600 रू ग्रेड वेतन के संबंध में एक विस्‍तृत प्रतिवेदन सचिव महोदय को सौंपा है. संभव है कि रूटीन प्रोसेस के तहत इसे भी व्‍यय विभाग को भेजा जाए. अधिकारी एसोसिएशन की सदइच्‍छा प्रशंसनीय है. परंतु हम सबका विगत अनुभव बताता है कि व्‍यय विभाग से वही टका सा जवाब आएगा. तब प्रश्‍न उठता है कि ऐसी स्थिति में क्‍या किया जाए? 

अपने सीमित विवेक के आधार पर पूरे संवर्ग के अनुवादकों और विशेषकर अनुवादक एसोसिएशन के वर्तमान पदाधिकारियों से हाथ जोड़ कर निवेदन करना चाहूंगा कि अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है. हमें इस मामले को बिना समय गंवाए कैट में ले जाना होगा. वित्‍त मंत्रालय के साथ प्रतिवेदन-प्रतिवेदन का खेल खेलना अब हमें मंहगा पडेगा......समय हाथ से निकल रहा है. हम चुनाव वर्ष में हैं और कभी भी वेतन आयोग का गठन घोषित हो सकता है..एक बार वेतन आयोग बैठ गया तो ऐसे सारे मामले वेतन आयोग को फॉरवर्ड कर दिए जाएंगे. इसलिए जो करना है अभी करना पडेगा. 

एसोसिएशन के पास कोई और रणनीति है तो कृपया अनुवादकों से तुरंत साझा करें अथवा अपना पक्ष स्‍पष्‍ट करें. 

(कृपया इस संबंध में अगले पोस्‍ट की प्रतीक्षा करें.....चूंकि एसोसिएशन ने आज 22 दिन बीतने के बाद भी अनुवादकों को उन तथ्‍यों से अवगत नहीं कराया है जिनके आधार पर एसोसिएशन का प्रतिवेदन ठुकराया गया है ....अतएव अब अनुवादक मंच उन सभी तथ्‍यों का खुलासा करने के साथ-साथ स्थिति की नए सिरे से समीक्षा भी करेगा. )

1 comment:

  1. आदरणीय आर्य जी

    आपके द्वारा वस्‍तुस्थिति ग्रेड वेतन 4600/- के बारे में बताने पर बहुत ही हैरानी हुई । मैंने बहुत से केस देखें हैं जिसमें एक कोर्ट केस करने वाला
    वकील पर भरोसा कर सो जाता है पता उसे तब ही चलता है कि जब केस
    हार जाता है बिल्‍ल्‍कुल वही स्थिति हिंदी अनुवाद ऐसोशियेशन की है
    जिसने प्रतिवेदन के बाद केस के बारे में जरा भी ध्‍यान न दिया ब सोई रही अभी भी कुछ नहीं बिगडा है कोर्ट केस के द्वारा निर्णय कर लिया जाना चाहिए । आप साथियों ने इतनी परेशानी सिर्फ इसलिए झेली है कि ग्रेड वेतन के बारे में संघ ने ध्‍यान नहीं दिया । बडे दुख की बात है । व्‍यय विभाग में अनुवादक भाईयों से इस संबंध में सहयोग की कातचीत की जाए । तब भी कुछ हो सकता है । बैठक से उठ कर चले जाने प्रश्‍नों का उत्‍तर न देना बहुत तंगदिली की बात है । आप ही इस केस को अपने हाथ में लें । अगर यह केस अभी नहीं हुआ तो जीवन भर अनुवादक भाई गिडगडाते रहेंगे । मेरे द्वारा पहले पोस्‍टों पर ध्‍यान देने का कष्‍ट करें जिसमें मैंने यह कहा था कि यह ऐसोशियेसन अगर कुछ करवा पाई तो ठीक है । अन्‍यथा कुछ नहीं हो सकता । से यह संघ नीरस ही साबित हुआ । अपेक्षा के साथ सादर सहित आपका ।
    डा विजय शर्मा

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