Sunday 18 August 2013

क्‍यों दिए एसोसिएशन के कुछ पदाधिकारियों ने अपने पदों से त्‍याग-पत्र ?

दोस्‍तो, पिछले पोस्‍ट से आप जान चुके हैं कि एसोसिएशन के पदाधिकारियों में से एक उपाध्‍यक्ष, दोनों संयुक्‍त सचिव और एक कार्यकारिणी सदस्‍य अपने पदों से त्‍याग-पत्र दे चुके हैं. इन पूर्व पदाधिकारियों के त्‍यागपत्र के संदर्भ में एसोसिएशन के कुछ वरिष्‍ठ पदाधिकारी अपनी गलतियों पर पर्दा डालने के लिए इधर-उधर तमाम तरह का दुष्‍प्रचार कर रहे हैं. दुर्भाग्‍यवश, इन दिनों उनकी शक्ति संवर्ग के हित में कार्य करने में कम और त्‍यागपत्र देने वाले पदाधिकारियों में दोष सिद्ध करने में ज्‍यादा खर्च हो रही है. ये बात और है कि वे आज तक त्‍यागपत्र देने वाले अपने साथियों द्वारा उठाए गए एक भी प्रश्‍न का उत्‍तर नहीं दे पा रहे हैं. इसलिए, हम मुद्दों पर चर्चा करना प्रारंभ करें इससे पहले ये समझना जरूरी है कि किन परिस्थितियों में उपर्युक्‍त पदाधिकारियों ने अपने पदों से इस्‍तीफा दिया था. जो साथी फेसबुक से नहीं जुड़े हैं वे इन पदाधिकारियों का पक्ष जानना चाह रहे हैं. इसलिए यहां, फेसबुक की सीएसओलएस कम्‍यूनिटी में पिछले दिनों इन पदाधिकारियों द्वारा स्‍वतंत्र रूप से डाले गए उनके त्‍याग-पत्रों की विषय-वस्‍तु को मात्र इसलिए साझा किया जा रहा है ताकि आप इन पदाधिकारियों का पक्ष से अवगत हो सकें. और इसके बाद सिर्फ और सिर्फ मुद्दों पर बात की जाएगी. इन पदाधिकारियों के त्‍यागपत्र सीएसओएलएस (https://www.facebook.com/groups/102662746540329/ में प्रकाशित होने के क्रमानुसार एवं तथानुरूप इस प्रकार हैं :   

श्री सौरभ आर्य, संयुक्‍त सचिव
प्रिय मित्रो
पिछले कुछ दिनों से यहां एसोसिएशन के कुछ पदाधिकारियों के त्याग-पत्र की चर्चा चल रही है। जहां तक मेरा संबंध है, यह सत्य है कि मैं दिनांक 19 जुलाई, 2013 को संयुक्त सचिव के पद से त्याग-पत्र दे चुका हूं। त्या‍ग-पत्र दिए जाने के उपरांत आज दिनांक 27 जुलाई, 2013 तक मैंने इस विषय में अपनी ओर से कोई टिप्पणी नहीं की । क्योंकि मैं अपने त्याग-पत्र को स्वीकृत किए जाने संबंधी औपचारिक सूचना की प्रतीक्षा में था । परंतु आज 8 दिन बीतने के बाद भी मुझे इस संबंध में कोई लिखित अथवा मौखिक सूचना नहीं दी गई है और अनुवादक साथियों के बीच तरह तरह की बयानबाजी की जा रही है। इसलिए स्पष्ट है कि यह त्या‍ग-पत्र स्वीकृत किया जा चुका है । संभवतया आप में से अधिकांश साथियों को एसोसिएशन में पदाधिकारियों और सदस्यों द्वारा त्याग-पत्र दिए जाने के संबंध में विभिन्न माध्यमों से जानकारी मिल चुकी होगी । क्योंकि इस दौरान मुझे आप में से बहुत से साथियों के फोन और संदेश प्राप्त हुए.... उस वक्त मैं अपने पद की औपचारिकताओं के चलते कुछ भी स्पष्ट रूप से कह पाने में असमर्थ था । आप सबने मुझे अपना प्रतिनिधि बनाकर एसोसिएशन में भेजा था अत: मैंने त्याग-पत्र क्‍यों दिया यह जानना आपका हक भी है और मेरा नैतिक दायित्व भी । परंतु आप सबके स्नेह, विश्वास और समर्थन ने मुझे वास्तव में शक्ति प्रदान की है । शायद आपका यही विश्वास और स्नेह ही वह संबल था जिसके दम पर मैं, कुछ अन्य पदाधिकारी और कार्यकारिणी सदस्य आज तक एसोसिएशन के कुछ वरिष्ठ पदाधिकारियों की मनमानी और संवर्ग विरोधी आचरण का मौखिक और लिखित रूप में विरोध करते रहे । परंतु कुछ लोगों का अहंकार और हठधर्मिता सारी सीमाएं पार कर चुका था । ऐसा करते हुए भी हम संवर्ग के हितों को खतरे में पड़ने से नहीं बचा पा रहे थे । तब बेहतर था कि पदों को त्यागकर संगठन के बाहर रहकर संवर्ग के हितों के लिए कार्य किया जाए । अपने हाथों से लगाए गए पौधे का यह हश्र होता देखना वाकई दुखद था । परंतु यह एक कटु सत्य था जो एक कड़े फैसले की मांग करता था । लिहाजा त्याग-पत्र ही विकल्प था । मैं उन साथी पदाधिकारियों और कार्यकारिणी सदस्यों के जज़्बे को भी सलाम करता हूं जिन्होंने पदों के मोहपाश से ऊपर उठ कर संवर्ग के हित में त्याग-पत्र दिए हैं ।

दोस्‍तो, आप सभी के ई-मेल और फेसबुक संदेशों के अलग अलग उत्तर देने में शायद असमर्थ रहूं । अतएव एसोसिएशन के अध्यक्ष को संबोधित त्याग-पत्र का मसौदा आपसे साझा कर रहा हूं....जो शायद आपके कुछ सवालों के जवाब दे सके । मैं आपके हर प्रश्न का उत्तर देने के लिए तैयार हूं.....और आपको विश्वास दिलाता हूं कि भविष्य में भी सदैव अनुवादक साथियों के हित में कार्य करता रहूंगा ...और मुझे पूर्ण विश्वास है कि हम और अधिक कारगर हो सकेंगे । इसी प्रकार अपना स्नेह और विश्वास बनाए रखें।
सादर,
सौरभ आर्य
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सेवा में,                  
अध्यक्ष,
केन्द्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा अनुवादक एसोसिएशन,
नई दिल्ली ।

विषय : एसोसिएशन के संयुक्ते सचिव के पद से त्याग पत्र के संबंध में ।
महोदय,
निवेदन यह है कि मैं केन्द्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा अनुवादक एसोसिएशन के गत वर्ष संपन्न हुए चुनावों के उपरांत 17 जुलाई, 2012 से संयुक्त-सचिव के पद पर कार्यरत हूं । हम सबने मिलकर राजभाषा सेवा संवर्ग के लिए सेवा भाव से कार्य करने का संकल्प लेते हुए इन सार्वजनिक पदों को ग्रहण किया था। परंतु खेद का विषय है कि आपकी और महासचिव महोदय की कार्यशैली संगठन और संवर्ग की भावना के अनुरूप नहीं रही है। पारदर्शिता, टीम-भावना, जनहित को प्राथमिकता, कार्यों में तत्परता और साथी पदाधिकारियों को विश्वास में लेकर चलना आदि नदारद हैं। इस संबंध में, मैं और कई साथी पदाधिकारी समय-समय पर आपसे आग्रह करते रहे परंतु स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ । विगत 16 अप्रैल, 2013 को मैंने एसोसिएशन की उपाध्यक्ष श्रीमती विशाखा बिष्ट के साथ एक संयुक्त पत्र के माध्यम से आपसे संवर्ग के हितों से जुड़े कुछ प्रश्न पूछे थे जिनका उत्तर आपने अथवा महासचिव महोदय ने आज तक नहीं दिया है ।

यह सर्वविदित ही है कि बार-बार अनुरोध के बावजूद जनवरी, 2013 के उपरांत 'पूरे 6 माह तक' एसोसिएशन की कार्यकारिणी की कोई बैठक आयोजित नहीं की गई । तमाम अनुरोधों और सदस्यों के दबाव के बाद अंतत: 11 जुलाई, 2013 को कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की गई । इस बैठक में, मैंने विगत बातों को भुला कर भविष्य में एसोसिएशन को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक पद्यति तैयार करने का अनुरोध किया । यह पुन: खेद का विषय था कि महासचिव एवं अध्यक्ष महोदय को लिखे गए एक व्यक्तिगत पत्र का उत्तर व्यक्तिगत रूप से देने की बजाए सार्वजनिक रूप से अनावश्यक बातों पर बहस की गई । इस पत्र से कार्यकारिणी के सदस्य किस प्रकार संबंधित थे ? यही नहीं, गत वर्ष एसोसिएशन के गठन के तुरंत बाद हमारे पास फंड न होने की स्थिति में कार्यकारिणी के सदस्यों द्वारा आपस में कुछ राशि एकत्र करने के निर्णय को भी मेरा व्यक्तिगत निर्णय ठहराने का प्रयास किया गया जिसे मौके पर ही कार्यकारिणी के सदस्यों ने खारिज कर दिया । इस प्रकार की कुचेष्टाएं पूर्व में भी की जाती रही हैं । महासचिव महोदय जानते हैं कि सत्य यह है कि वे स्वयं एसोसिएशन को अपनी सेवाएं देने में विफल रहे हैं और संगठन को इस लचर हालत में पहुंचाने के लिए वे स्वयं उत्तरदायी हैं । इस सबके बावजूद हम सभी सदस्य और पदाधिकारी भविष्य की ओर आशान्वित रहे । परंतु आप दोनों पदाधिकारियों का तानाशाहीपूर्ण रवैया बैठक के अंत तक बरकरार रहा और सदस्यों के बार-बार अनुरोध पर भी पिछले 6 माह के दौरान विभिन्न मुद्दों पर न केवल कोई अपडेट देने से मना किया बल्कि कई संवेदनशील मुद्दों से संबंधित जानकारियों को भी छिपाने का प्रयास किया गया । आप दोनों के पास इस बार भी कार्यकारिणी के वाजिब प्रश्नों के जवाब नहीं थे, न किसी मुद्दे पर ठोस जानकारी, न कोई भावी रणनीति और न ही कोई विजन ।

राजभाषा संवर्ग और अनुवादकों की स्थिति में सुधार के लिए हमारा देखा गया स्वप्न, अब खतरे में हैं। हमें राजधानी की रफ़तार से काम करने की जरूरत थी मगर हम बैलगाडी की तरह भी नहीं चल सके और यदि कुछ पदाधिकारियों और सदस्यों ने प्रयास करने चाहे तो उन्हें अतिमहत्वाकांक्षी कहा गया । हाथ पर हाथ धरे बैठने से अतिमहत्वाकांक्षी होना शायद बेहतर था । जो संवर्ग वर्षों से उपेक्षा और अव्यवस्था का शिकार रहा हो वहां उसकी प्रतिनिधि एसोसिएशन इस प्रकार शिथिल कैसे हो सकती है ? एसोसिएशन लगभग हर मोर्चे पर विफल हो रही है, और अब यहां एक विशेष किस्म की गुटबंदी और नकारात्मरक दृष्टिकोण हावी हो चुके हैं और जनहि‍त के तमाम मुद्दे इस कार्यशैली के चलते खतरे में पहुंच चुके हैं । अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए अपने आलोचकों पर मिथ्या आरोप लगा कर आप सच को कुछ दिन के लिए छिपा सकते हैं....परंतु सत्य सदैव सत्य ही रहेगा ।

उपर्युक्त तथ्यों और घटनाक्रम के आलोक में, अब मैं आपके तानाशाहीपूर्ण रवैये, संगठन विरोधी और संवर्ग के हितों से खिलवाड़ करने वाले आचरण के विरोधस्वरूप अपने पद से त्याग-पत्र देता हूं । यह निस्संदेह मेरे लिए एक दुखद क्षण है परंतु मैं संवर्ग के साथियों को धोखा देने वाले ऐसे संगठन का हिस्सा नहीं बन सकता । इस संगठन में मैं, किसी पद की लालसा के लिए नहीं बल्कि संवर्ग की सेवा के उद्देश्य मात्र से आया था और वह मैं आगे भी जारी रखूंगा । कृपया इस त्याग-पत्र को स्वींकार कर मुझे अनुगृहित करें।
भवदीय,

(
सौरभ आर्य)
संयुक्त सचिव,
केन्द्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा अनुवादक एसोसिएशन, नई दिल्ली ।
दिनांक : 19 जुलाई, 2013
नई दिल्ली ।

 
श्रीमती विशाखा बिष्‍ट, उपाध्‍यक्ष 
Dear friends!!
Since I myself hadnt said a word about my resignation from the post of Vice-president of CSOLS so here I want to tell u all that I have resigned almost 10 days ago. I was firm in my decision that I will not rejoin this association once I resign since I had this thought in my mind that it might be possible that the President/Gen Secy may ask me to think over my decision once more but u will be surprised to know that they didnt do any such thing even for namesake as if they their much awaited wish was fulfilled. Since Saurabh and I were the persons who used to question them incessantly about efforts being done to tackle the burning issues hence they have become the most happy people as we have left the association. But it is only their misconception if they think that they will be left to do whatever they want to.

Now, we have also become the public so we are going to question them about each n every step being taken to address the most important issues like 4600/- GP, promotion of ST to AD, RR etc.







श्री राकेश श्रीवास्‍तव 
आदरणीय अध्‍यक्ष महोदय एवं महासचिव महोदय,
सप्रेम नमस्‍कार!
आशा है आप कुशल से हैं। विशेष यह है कि मैं एसोसिएशन में असहजता महसूस कर रहा हूं और समय देने में भी स्‍वयं को असमर्थ पा रहा हूं। इस वजह से इस्‍तीफा देना चाहता हूं।

मैं यह साफ तौर पर स्‍वीकार करना चाहूंगा कि मेरी इस्‍तीफा का संबंध विशाखा जी, पूनम जी और सौरभ जी के इस्‍तीफा से है। सौरभ जी और विशाखा जी के साथ एसोसिएशन के काम के संबंध में मैं एक अंडरस्‍टैंडिंग शेयर करता था और एसोसिएशन में उनका न होना मेरे लिए दुखद और असहज है।

इस बारे में मैं हमेशा साफ रहा कि हां सौरभ जी और विशाखा जी के साथ कैडर के लिए काम करने को लेकर एक दृष्टि हमने शेयर की है। इसका यह अर्थ कदापि नहीं कि सौरभ जी और विशाखा जी के साथ मेरा कोई पोलिटिकल एसोसिएशन है और मैंने यह भी हमेशा कहा कि सौरभ जी और विशाखा जी या किसी और द्वारा उठाई गई कोई बात को हल करने का मंच एसोसिएशन की बैठक है, एसोसिएशन की बैठक के मंच से बाहर कुछ लोगों को साथ लेकर और कुछ लोगों को छोड़कर बनने वाले गुट नहीं। सौरभ जी के साथ बनने वाला मेरा साझा एक अंडरस्‍टैंडिंग है कोई गुट नहीं। सौरभ जी या किसी की बात अगर बैठक्‍ के मंच पर गलत ठहराई जाती है तो मैं बैठक के नतीजों के साथ होऊंगा ऐसा मैंने आपको लगातार कम्‍यूनिकेट किया। कोई भी व्‍यक्ति या आपस में अंडरस्‍टैंडिंग शेयर करने वाले कुछ लोग एसोसिएशन से ऊपर नहीं हैं। मुझे अफसोस इस बात का है कि आपने मेरी बातों पर विश्‍वास नहीं किया।

आपने मेरी बातों पर विश्‍वास नहीं किया मेरे यह मानने की मेरे पास वजहें साफ हैं। जब सौरभ जी और विशाखा जी ने एसोसिएशन के काम काज के संबंध में शिकायतों से भरा पत्र लिखा तो यह उनकी समझ थी। उनकी समझ के साथ मेरा साझा भी था पर इससे भी ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण यह था कि मुझे आपपर विश्‍वास था कि आप पहल करके शिकायतों को दूर कर देंगे। आपके पास आपकी वजहें भी हो सकती हैं। ऐसा समझते हुए मैंने आपको पत्र लिखा था जिसका आपने कोई उत्‍तर नहीं दिया। और जब मैंने अपने पत्र का हवाला देते हुए आपसे स्‍वतंत्र रूप से बात करनी चाही तो आपने इस पूर्वग्रह के साथ ही मुझसे बात की कि हमने कोई गुट बना रखी है। आपपर अलग से मेरा जो विश्‍वास था और अपेक्षा थी उसको अलग से आपने तरजीह न दी।

मैंने आपपर विश्‍वास किया इस बात पर आपने विश्‍वास नहीं किया यह मानने की एक दूसरी वजह भी मेरे सामने आई। जिस दिन विशाखा जी पूनम जी और सौरभ जी ने इस्‍तीफा दिया उस दिन ही शाम में मेरी आपसे मेरे एक व्‍यक्तिगत काम के सिलसिले में फोन पर बात हुई थी। आपने उनके इस्‍तीफे के बारे में भी बताया और यह कहा कि इस्‍तीफा मानूं या न मानूं यह आपका प्रीरोगेटिव है। यह सुनकर मुझे अच्‍छा लगा और मैं इस इंतजार में था कि आप उन्‍हें वापस जोड़ने की कोई पहल करेंगे। आज काफी‍ दिन बीतने के बाद भी ऐसी कोई पहल नहीं हुई है।

उक्‍त कोई पहल तो न ही हुई साथ ही पता चला कि एसोसिएशन का नया वेबसाइट वगैरह आरंभ किया गया है। जाहिर है अगर ऐसा हुआ है तो इस बारे में कहीं कोई निर्णय लिया गया होगा। निर्णय की इस प्रक्रिया के बारे में मुझे कोई सूचना नहीं मिली। इन सब बातों से मैं तो यही समझ पा रहा हूं कि सौरभ जी के साथ मेरी अंडरस्‍टैंडिंग को सहज रूप से लेने और मुझे एसोसिएशन के साथ बनाए रखने में आपकी रूचि नहीं है।

उक्‍त बातों के आलोक में मैं इस्‍तीफा देना चाहता हूं। कृपया मेरा इस्‍तीफा स्‍वीकार करने का कष्‍ट करें। कैडर और एसोसिएशन के संबंध में किसी भी सेवा के लिए मैं कार्यकर्ता के रूप में हमेशा उपलब्‍ध रहूंगा। मुझे व्‍यक्तिगत रूप से कोई शिकायत नहीं है, कई बार ऐसा होता है कि दो लोग एक दूसरे का परस्‍पेक्टिव समझ नहीं पाते।
सादर,

राकेश श्रीवास्‍तव
28-07-13





सुश्री पूनम विमल, कार्यकारिणी सदस्‍य
Hello Freinds,
I have also resigned from the Post of Executive Member, Central Secretariat Official language Association w.e.f. 19.07.2013

सेवा में,
अध्यक्ष,
केन्द्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा अनुवादक एसोसिएशन,
नई दिल्ली ।

विषय : एसोसिएशन के सदस्यकार्यकारिणी के पद से त्याग पत्र के संदर्भ में ।

महोदय,एसोसिएशन की कार्यकारिणी इस संगठन की सबसे महत्वपूर्ण इकाई है । परंतु पिछले एक वर्ष का अनुभव बताता है कि कार्यकारिणी महज रबर स्टैंप बन कर रह गई है । यहां तक कि कार्यकारिणी द्वारा पूर्व में लिए गए निर्णय के बावजूद पिछले 6 माह तक कार्यकारिणी की बैठकों का आयोजन नहीं किया गया । न ही इस दौरान एक सदस्य के नाते मुझे कोई सूचनाएं दी गईं न ही किसी निर्णय में मेरी राय ली गई ।

यह एक सच्चाई है कि आज यह एसोसिएशन एक संगठन के रूप में अपने उद्देश्यों को हासिल करने में असफल हो रहा है । मैं देख रही हूं कि पदाधिकारियों के मध्यय कोई समन्वय नहीं है और कुछ पदाधिकारी लंबे समय से कुछ बातों को लेकर आपत्ति जाहिर करते रहे हैं । कमोबेश ऐसी ही बातें कार्यकारिणी के भी कुछ सदस्यों ने उठाई थीं । परंतु कोई सुधार न हुआ ।

दिनांक 11.7.2013 को हुई एसोशिएशन की बैठक में कोई ऐसी जानकारी आपके द्वारा हमें प्रदान नहीं की गई कि एसोशिएशन की क्या -क्या उपलब्धियां है अथवा आगे क्या रणनीतियां है। इसलिए मेरा एसोशिएशन का सदस्यश होना न होना एक बराबर है। अत: मैं एसोशिएशन के सदस्य पद से त्याग-पत्र दे रही हूं।

भवदीय,

(पूनम विमल)
सदस्य,कार्यकारिणी,केन्द्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा अनुवादक एसोसिएशन

दिनांक 19 जुलाई, 2013



इन चारों पूर्व पदाधिकारियों का समवेत रूप में कहना है कि ...  हमारा ध्‍येय किसी चुनी गई प्रतिनिधि संस्‍था को गिराना नहीं है...हां , उसके हर अच्‍छे बुरे कार्यों की आलोचना के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का हम खुलकर प्रयोग करेंगे और हर मामले में किसी भी आवश्‍यक कार्रवाई के लिए इसी प्रतिनिधि संस्‍था से अनुरोध करेंगे और उन्‍हें पहले कार्रवाई का मौका देंगे. परंतु यदि यह संस्‍था कार्रवाई में विफल रही तो हमें अपने स्‍तर पर कार्रवाई का पूरा हक होगा. 

10 comments:

  1. आदरणीय आर्य जी
    सादर प्रणाम

    अभी अभी बलाग देखकर हतप्रभ रह गया कि आप सभी के साथ
    अध्‍यक्ष एवं अन्‍य प्रदाधिकारी हठधर्मिता का व्‍यवहार करते रहे
    व आप के प्रश्‍नों का उतर सही रुप से नहीं दिया गया ।
    कुंठित वइ संस्‍था मे उपेक्षित होने के कारण्‍ा आपको त्‍यागपत्र देना पडा

    परंतु खेद का विषय है कि इन अधिकारियों ने आपकी एक न सुनी व वह ग्रेड वेतन 4600/- संबंधी भी कुछ नहीं कर पाए । ऐसी संस्‍था का क्‍या लाभ अाप इनसे अपने प्रश्‍नों का उत्‍तर मांगें तथा आगे यह गेड वेतन 4600/- के बारे में क्‍या कर रहे हैं वह भी बताएं तथा सभी अनुवादकों का मार्ग दर्शन करें कि अब रास्‍ता क्‍या है
    अन्‍यथा ऐसी संस्‍था को कानूनी प्रक्रिया से भंग कर दिया जाए ।
    आप सभी के साथ हुए इस प्रकार के व्‍यवहार के लिए बहुत ही दुख है

    डा विजय शर्मा

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  2. आदरणीय आर्य जी
    सादर प्रणाम

    आदरणीय आर्य जी अभियुक्ति देख कर मन प्रसन्‍न हुआ कि बलाग पर साथ साथ्‍ा इसे डाल दिया गया है परंतु आपके त्‍यागपत्र के बारे में अभी पता नहीं चला कि क्‍या आपके साथ अभी तक अध्‍यक्ष महोदय ने संपर्क किया या नहीं । दूसरा ऐसोशियेशन ने अभी तक 4600/- ग्रेड वेतन के बारे में क्‍या किया है जबसे से वित मंत्रालय के द्वारा प्रस्‍ताव को रदद कर दिया गया है । आपसे अनुरोध है कि अपना मोबाईल नम्‍बर अवश्‍य डिप्‍सले करें आपकी बडी मेहरवानी होगी । मुझे इस ऐसोशियेशन पर बहुत था कि यह अवश्‍य कुछ न कुठ करेगी परंतु पदाधिकारियों के साथ ही ऐया व्‍यवहार किया जा रहा हो तो प्रतिवेदन पर भी क्‍या कार्य होगा यह तो आप समझ सकते हैं । अनुरोध है कि राजभाषा ऐसोशियेशन की साईट जो आपने कही है कि नई आरंभ की गई है उसके बारे में बताया जाए ताकि उनके बारे में जानकारी प्राप्‍त करे सकें कि वह क्‍या कर रहे हैं ।

    डा विजय शर्मा
    09876925769

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  3. vijay ji.... aapki baaton se main poori tarah se sehmat hoon. humne tyagpatra isiiye diya taki jo kaam hum association ke andar rehkar khulkar nahi kar paa rahe the vo association ke baahar rehkar kar sakte hain... humhe power mein rehne ka koi lobh nahi tha..hum anuvadak samvarg ke liye kuch karne aaye the...aur aaj bhi hamara dhyeya wahi hai.

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  4. आदरणीय विजय शर्मा जी,
    सादर नमस्‍कार, सर्वप्रथम तो एक आग्रह है कि मेरे लिए आदरणीय आदि संबोधनों का प्रयोग कर और आगे से मुझे प्रणाम कर मुझे शर्मिंदा न करें...आपसे बहुत छोटा हूं...केवल सौरभ, भी चलेगा.

    1. 4600 ग्रेड वेतन मामले को वित्‍त मंत्रालय द्वारा ठुकराए जाने के बाद एसोसिएशन ने इससे संबंधित तमाम जानकारियों को छिपाने, अनुवादकों को अभी भी गुमराह करने के अतिरिक्‍त कुछ नहीं किया है. आपको जानकर आश्‍चर्य होगा कि इतने दिनों बाद भी बार बार अनुरोध के बावजूद एसोसिएशन के पदाधिकारी यह बताने को तैयार नहीं हैं कि आखिर किन आधारों पर इस मांग को ठुकराया गया है. ऐसा सिर्फ तानाशाही में ही होता है जहां जनता के वाजिब सवालों के जवाब नहीं दिए जाते. खैर, 4600 ग्रेड वेतन के बारे में हम अपनी अगली ही ब्‍लॉग पोस्‍ट में विस्‍तार से अद्यतन जानकारी देने जा रहे हैं. इस मामले को अंजाम तक ले जाने के लिए जो भी किया जा सकेगा...वह हम सुनियोजित ढंग से करेंगे. जैसा कि हमने वायदा किया है कि हम पहला मौका एसोसिएशन को ही देंगे...इसके पदाधिकारी यदि अपनी जिम्‍मेदारी के निर्वहन में विफल रहे तो यह मामला हम लोगों को अपने हाथों में लेना होगा. देखते हैं...एसोसिएशन के हमारे पदाधिकारी मित्र कब तक अपनी जिम्‍मेदारियों से भागते हैं.

    2. आपने पूछा है कि क्‍या एसोसिएशन के अध्‍यक्ष महोदय ने हमसे अभी तक कोई संपर्क किया है अथवा नहीं...? वह किस लिए संपर्क करेंगे ? हमारे त्‍याग-पत्रों की वे न जाने कब से प्रतीक्षा कर रहे थे. हमने उनकी दिली ख्‍वाहिश पूरी कर दी है....आशा है वे प्रसन्‍न होंगे और कम से कम अब तो हमसे छुटकारा पाकर संवर्ग के लिए कुछ करके दिखाएंगे.

    3. मैं सदैव ऑनलाइन उपलब्‍ध रहता हूं और कार्यालय तथा निजी जिंदगी की तमाम अन्‍य व्‍यस्‍तताओं के कारण फोन आदि पर बातचीत के लिए अधिकांशत: अनुपलब्‍ध रहता हूं. परंतु किसी विशेष परिस्थ्‍िति में आप या कोई भी अनुवादक साथी मुझसे 09711337404 पर संपर्क कर सकते हैं.

    4. एसोसिएशन के अध्‍यक्ष महोदय द्वारा प्रारंभ किया गया ब्‍लॉग centralsecretariattranslators.blogspot.com है.

    5. एसोसिएशन पर हमें भी अभी भरोसा है....क्‍योंकि एसोसिएशन में अभी भी कुछ अत्‍यंत प्रबुद्ध और कर्मठ सदस्‍य मौजूद हैं. और अध्‍यक्ष और महासचिव महोदय भी दिल से बुरे इंसान नहीं हैं....हां, एक कमजोर नेता जरूर हैं. हमारी उनसे समस्‍त शिकायतें केवल एक पदाधिकारी होने के नाते हैं. मुझे विश्‍वास है कि जल्‍द ही वे भी अपनी गलतियों का अहसास कर ईमानदारी पूर्वक अपनी जिम्‍मेदारियों का निर्वहन करेंगे.

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  5. प्रिय श्री सौरभ जी,
    सस्नेह नमस्कार

    4600 ग्रेड वेतन के बारे में अगली ही ब्‍लॉग पोस्‍ट में विस्‍तार से देने जा रही अद्यतन जानकारी का इंतजार है। साथ में इन विषयों पर भी प्रकाश डालने की कोशिश करें कि आखिर किन आधारों पर इस मांग को ठुकराया गया है और इस संबंध में प्रत्येक अनुवादक को निजी तौर पर क्या करना चाहिए। सत्ताधारी ब्लॉग में मैंने देखा कि इस मामले में पुनर्विचार करने के लिए फिर से प्रतिवेदन भेजा गया है(?)।

    एसोसिएशन के उन कर्मठ और प्रबुद्ध महानुभावों से यह उम्मीद करते हैं कि पदोन्नति तो दिलावा नहीं सकते (पूरी सेवा काल में), कम से कम जो बात बनी है (अब वह भी बिगडती जा रही है?) उस ग्रेड 4600 दिलवाने में अपनी पूरी ताकत लगाएंगे।

    अत्यंत सराहनीय बात यह है कि अनुवाद मंच के सभी स्थापक साथियों ने सेवा धर्म को परम धर्म मानकर काम करने का जो निर्णय लिया है वह इन दिनों में एक आदर्श है और एक अच्छा संप्रदाय भी। इस कार्य में हम सब आपके साथ हैं।

    सादर
    शरत्कुमार ना काशीकर्

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  6. आदरणीय आर्य जी
    सादर प्रणाम

    अभी अभी आपके द्वार पोस्‍ट किया गया पूरा विवरण ध्‍यान से देखा तथा बहुत प्रसन्‍नता हुइर् कि
    आपने उत्‍तर बडी जल्‍दी दे दिया मेरा आपसे अनुरोध है कि एसोशिसेशन के पदाधिकारियों से संपर्क जारी रखें तथा उनसे 4600/- ग्रेड वेतन की मांग को रखें जिससे वरिष्‍ठ अनुवादकों को भी लाभ मिलेगा । शेष आपकी सफलता, ईमानदारी को वरिष्‍ठ पदाधिकारी पचा नहीं पाए । आपका बलाग पर चित्र देखकर ही आपकी ईमानदारी की झलक सामने आ जाती है । वास्‍तव में ही आप सौम्‍य हो , सुंदर, सुशील तथा कत्‍वर्य निष्‍ठ साथी हैं । जोकि इतना दर्द ऐसोशियेशन को चलाने में
    ले रहे थे । आप अध्‍यक्ष पद के लिए अवश्‍य तैयारी रखें । अगर 4600/' के ग्रेड वेतन के लिए कोर्ट केस करना हो तो अंशदान की आवश्‍यकता हो तो भी बिना झिझक आप आदेश दे सकते हैं । रही बात आपको संबोधन कि कयोंकि आप वरिष्‍ठ पदाधिकारी हैं और हमारे मन में अध्‍यक्ष भी हैं अत: आदर करना हमारा फर्ज है । निदेशक आयु में चाहे छोटा हो जैसे कि मेरी निदेशक महोदया हैं । सत्‍कार देना हमारा फर्ज है ।
    अभी जल्‍दी में हूं पूरी जानकारी अभी एक- आध दिन में सांझा करुंगा ।
    सादर सहित
    डा विजय शर्मा

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  7. It is my humble opinion that there is no need to get formal approval from department of expenditure for the grade pay of 4600 to the post of Jr. Hindi Translator. Simply ask for your pay fixation done according to the illustration 4A as on 01.01.2006 and you will be get fixed in the grade of 4600.

    Illustration 4A is as follows:

    ILLUSTRATION 4A: Pay fixation in case where posts have been upgraded e.g. post in pre-revised pay scale of Rs 3050-75-3950-80-4590 to Rs 3200-85-4900 scale.
    1. Existing Scale of pay Rs 3050-4590
    (Corresponding Grade Pay Rs 1900)

    2. Pay band applicable PB-1 Rs 5200-20200
    3. Upgraded to the scale of pay Rs 3200-4900
    (Corresponding Grade Pay Rs 2000)
    4. Existing basic pay as on 1.1.2006 Rs 3125
    5. Pay after multiplication by a factor of 1.86 Rs 5813 (Rounded off to Rs 5820)
    6. Pay in pay band PB-2 Rs 5820
    7. Pay in the pay band after including benefit Rs 6060 (Minimum of pay scale 3200-4900 of bunching in the pre-revised scale (initial fixation) 3200*1.86=6060 in table S-6
    3050-4590, if admissible / (Minimum of pay band
    (PB-1, 5200-20200=5200)

    8. Grade Pay attached to the scale of Rs 2000
    Rs 3200-4900
    9. Revised basic pay- total of pay in the pay Rs 8060
    Band and grade pay
    It clearly indicates that in the cases of upgradation; grade pay of upgraded pay scale is to be applied and there should be no doubt in anyone's mind that the corresponding grade pay of pre-revised pay scale of 6500-10500 is not 4600. Initially three pay scales were merged in the grade pay of 4200 but as soon as the pre-revised pay scale of 6500-10500 was upgraded to 4600, it did not exist in the grade pay of 4200. If someone argue that the upgraded pay scale of 6500-10500 carries the grade of 4200, it is ridiculous and not maintainable.

    As on 01.01.2006 the pre-revised pay scale of the post of Jr. Hindi Translator is 6500-10500, the same has been accepted by the department of expenditure and accordingly orders have been passed. Further, illustration 4A leaves no room for the doubt. Get your pay fixed according to illustration 4A and get the grade of 4600.

    Hariom P. Gupta

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  8. आदरणीय आर्य जी

    सादर प्रणाम

    आज पुन: आपके त्‍यागपत्र के बारे में विस्‍तारपूर्वक पढा और एक दो दिन पहले पता चला कि
    आप हमारी आयु के हिसाब से बहुत छोटे हैं परंतु आपके विचार / आपके द्वारा कार्य करने का जज्‍बा देख कर हैरान हुं । मेरे भाई आपकी आयु के जब हम थे तब बहुत कुछ करने की तम्‍मना लेकर आए थ्‍ो । बदकिस्‍मत की एक तो राजभाषा विभाग का कैडर न मिला तथा केन्‍द्रीय अनुवाद ब्‍योरो में वरिष्‍ठ हिंदी अनुवादक के पद पर सलेक्‍ट होने के बाद ज्‍वाईन नहीं किया हिंदी के लिए बहुत कुछ करने की कामना थी परंतु कार्यालय तकनीकी तथा दस पास प्रशासनिक वरिष्‍ठ अधिकारी दोनो वर्गों से रोजाना मन मुटाव सिर्फ हिंदी लागू करने के लिए । पदोन्‍नति की व्‍यवस्‍था करने के बाद भी हिंदी अधिकारी का पद समाप्‍त किया गया । बिना किसी भारत सरकार के नियम के ।
    मंत्रालय / विभाग में 1982 नियुक्‍त कनिष्‍ठ अनुवादक आज उप निदेशक के पद पर स्‍थापित है व हिदी के प्रति उसे कोई लगाव नहीं परंतु हमें तीन-तीन स्‍र्थानों का कार्य करने के बाद भी कोई पदोन्‍नति क व्‍यवस्‍था नहीं । मेरा यह सब कहने का मतलब यह नहीं कि मैं पदोन्‍नति मांगता हूं
    सिर्फ यह कहना है कि हिंदी लागू करते समय हमारी रक्‍त संचार कितना अधिक बढता है हम कितने हीन भावना मे रहते हैं काम प्रशासनिक या अन्‍य करने के बाद भी पदोन्‍नति जो प्रशासनिक या तकनीकी कर्मचारी होते हैं वही पाते हैं अनुवादक वहीं का वहीं रहता है कितनी बिडम्‍बना है । मैं यह सब बातें इसलिए कर रहा हूं कि हमारी जाब अब बहुत कम रह गई है । आप में कुछ करने का जज्‍बा है कम आयु के व बुद्विमान हैं । कार्यक्षमता है आपके त्‍यागपत्र दिए हुए साथी भी बहुत
    अच्‍छी नेचर के हैं । आप सभी हिंदी अनुवादको के हितों के लिए युद्धस्‍तर पर तैयारी रखें । परमात्‍मा आप को खूब तरक्‍की दे व आप खूब फलें फूलें । यह मेरी मंगल कामना है । मेरा एक साथी श्री काशीकर जी बहुत सुलझे हुए इंसान हैं व वह आज के दिन में हिंदी कार्य के अतिरिक्‍त प्रशासन को जो कार्य देखते हैं वह उच्‍च पदस्‍थ प्रशासनिक अधिकारी नहीं कर सकते । इसीलिए आपसे पुन: अपेक्षा है कि खूब तरक्‍की करें व हिंदी भाईयों को उनका बनता मानसम्‍मन दिलवाएं ।
    सादर सहित
    डा विजय श्‍ार्मा

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  9. आदरणीय आर्य जी

    सादर प्रणाम

    Highly thnks for published blog and it is further requested kindly
    try your best without losing temper . You are really intelligent person .
    In my previous post I had mentioned a JHT posted as DD at department appointed in
    1982. Actually he was appointed in the year 1992 and promoted as DD.


    With regard

    Dr. Vijay Sharma

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  10. आदरणीय आर्य जी
    सादर प्रणाम
    ऐसोशियेशन के मतभेद सुलझे या नहीं
    डा विजय शर्मा

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