Monday 28 May 2012


केन्‍द्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा संवर्ग के कनिष्‍ठ / वरिष्‍ठ अनुवादकों की बैठक  
एक रिपोर्ट 

23 मई, 2012 का दिन संभवतया केन्‍द्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा से जुड़े लोगों के दिलो-दिमाग में एक खास तारीख के रूप में दर्ज होगा. बरसों की गहरी नींद को तोड़कर जब-जब लोग अपने हक और सम्‍मान के लिए उठते हैं घटनाएं ऐतिहासिक बन जाती हैं. दोपहर लगभग डेढ़ बजे का वक्‍त, आसमान से आग बरस रही थी और लुट्यन्‍स जोन में राजपथ पर मई की लू के थपेड़े राहजन का स्‍वागत कर रहे थे. पर डेढ़ बजे के लगभग आस पास के दफ्तरों के कुछ लोग एयरकंडीश्‍नर का मोह त्याग कर चिलचिलाती धूप में पैदल चलकर वायुसेना भवन मुख्‍यालय के साथ पार्क में पहुंचने शुरू हुए. 15 मिनट के भीतर-भीतर लगभग 50-60 लोगों का अच्‍छा खासा जमावड़ा हो चुका था. सब तय कार्यक्रम के अनुसार था पर आज की बैठक को आस-पास के कार्यालयों के कनिष्‍ठ एवं वरिष्‍ठ अनुवादकों तक ही सीमित रखा गया था. दरअसल आज की बैठक संगठन द्वारा आहूत न होकर अनुवादकों द्वारा स्‍वयं अपने स्‍तर आमंत्रित की गई थी.
लगभग 15 दिनों पूर्व अनायास ही नॉर्थ ब्‍लॉक में दर्जन भर अनुवादक साथियों के मध्‍य सीएसओएलएस कैडर के अनुवादकों की स्थिति पर बहुत देर तक विचार-विमर्श हुआ. कुछ मुद्दों को लेकर सभी अनुवादक साथियों के मध्‍य आम सहमति थी. कहना न होगा कि सभी सीएसओएलएस के अनुवादकों की मौजूदा स्थिति और वर्तमान ऐसोसिएशन की कार्यप्रणाली से असंतुष्‍ट भी थे. बात निकली तो दूर तक गई और तय किया गया कि जैसा ये दर्जन भर लोग सोच-समझ रहे हैं इस बारे में अन्‍य अनुवादक साथियों के भी विचार जाने जाएं । दूसरी बात थी कि कैसे अब तक कमियों को दूर कर संगठन में नई जान फूंकी जाए. बस फिर क्‍या था. 23 मई का दिन मुकर्रर किया गया और फैसला हुआ कि अब बात ज्‍यादा से ज्‍यादा साथियों के बीच की जाए ताकि सब-कुछ साफ–साफ हो सके. और आज सभी अनुवादक साथी पूरे जाशो-खरोश के साथ मैदान में उतर आए थे.
    मुद्दे बहुत साफ और स्‍पष्‍ट थे.
पहला मामला : 4200 रू के ग्रेड पे को बढ़ाकर 4600 किया जाना ।
कनिष्‍ठ अनुवादकों के 4200 रू के ग्रेड पे को बढ़ाकर 4600 किए जाने की पुरानी मांग थी. जिसे लेकर लंबे समय से जंग चल रही थी. इस मामले में न्‍यायालय में कुछ प्रगति भी हुई परंतु ऐसोसिएशन इसे पुरजोर तरीके से अंजाम तक ले जाने में नाकाम रही. मामला अभी भी अधर में लटका हुआ है.
दूसरा महत्‍वपूर्ण विषय : ऐसोसिएशन की कार्यप्रणाली ।
अधिकांश अनुवादक साथियों का मानना था कि ऐसोसिएशन जैसी किसी चीज से वे वाकिफ नहीं हैं. कब इसकी बैठकें होती हैं?  न्‍यायालय में चल रहे मामले में क्‍या प्रगति हो रही है ? अनुवादकों से एकत्र किए जा रहे चंदे का हिसाब-किताब? पूर्व में जमा पैसों को लेकर कोई लेखा आदि प्रस्‍तुत न करना और लंबे समय से कोई चुनाव न कराया जाना समेत तमाम विषयों पर एसोसिएशन की ओर से साफगोई की कमी महसूस की जा रही थी. लिहाजा ऐसोसिएशन का नए सिरे से गठन आवश्‍यक महसूस होने लगा.
तीसरा मामला, अभी तैयार किए जा रहे नए नियु‍क्ति नियमों में सीधी भर्ती संबंधी नियमों पर चर्चा.
चौथा, और सबसे महत्‍वपूर्ण कार्य: अनुवादकों के लिए एक सांझा मंच उपलब्‍ध कराना और अनुवादकों में संगठन के भाव का सृजन करना ।
लंबे समय से महसूस किया जा रहा था कि हर मंत्रालय/ विभाग में कार्यरत अनुवादक अलग-थलग पड़े हुए हैं. एक ही बिल्डिंग और यहां तक कि अगल-बगल के कमरों में होने के बावजूद अनुवादक एक-दूसरे से परिचित नहीं हैं. अतएव, सभी कनिष्‍ठ एवं वरिष्‍ठ अनुवादकों को निरंतर संपर्क और विमर्श के लिए एक सांझा मंच उपलब्ध कराना. साथ ही समस्‍त अनुवादकों को एकसूत्र में पिरोकर संगठन को नई ऊर्जा और शक्ति प्रदान करना.
      उपर्युक्‍त विषयों के आलोक में बैठक की कार्यवाही को प्रारंभ करते हुए सर्वप्रथम गृह मंत्रालय में कार्यरत श्री मंजुल ने उपरोक्‍त सभी विषयों की मौजूदा स्थिति से उपस्थित लोगों को अवगत कराया. उन्‍होंने अनुवादकों के साथ होने वाले उपेक्षापूर्ण व्‍यवहार से लेकर वर्तमान ऐसोसिएशन की कार्य प्रणाली पर विस्‍तार से चर्चा की. श्री मंजुल ने मौजूदा हालातों में सुधार लाने के लिए सभी अनुवाद साथियों का आह्वान किया. श्री मंजुल के बाद गृह मंत्रालय से ही श्री आर. आर शुक्‍ला ने भी कुछ महत्‍वपूर्ण तथ्‍यों पर प्रकाश डालते हुए ऐसोसिएशन की कार्यप्रणाली के प्रति खेद व्‍यक्‍त किया ।
तदोपरांत कोयला मंत्रालय से श्री अजय कुमार झा ने बात की आगे बढ़ाते हुए अन्‍य महत्‍वपूर्ण बिन्‍दुओं को भी छुआ. अभी चर्चा चल ही रही थी कि बैठक में ऐसोसिएशन के वर्तमान अध्‍यक्ष श्री शिव कुमार गौड़ पहुंच गए. श्री गौड़ को अब उनके सहायक निदेशक के रूप में पदोन्‍नत हो जाने के कारणवश आज की बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया था. परंतु सभी अनुवादकों ने उनका हार्दिक स्‍वागत किया. पुन: श्री झा ने अपने अनुभव सांझा करते हुए इस निराशाजनक स्थिति के कारणों पर रौशनी डाली. चर्चा के दौरान कुछ बातों पर माहौल थोड़ा गरम भी हुआ. उपस्थित लोगों ने श्री गौड़ से तमाम विषयों पर उनका स्‍टैंड जानना चाहा. जिस पर उन्‍होंने सहर्ष अपना पक्ष रखा. और अब तक एसोसिएशन द्वारा किए गए कार्यों और इकट्ठा किए गए चंदें के विषय में मोटे तौर पर आंकड़ा बताने का प्रयास किया. परंतु पिछले हिसाब किताब के विषय में साफ-साफ उत्‍तर न मिलने से अधिकांश अनुवादकों में रोष साफ देखा जा सकता था. खैर माहौल कभी हल्‍का तो कभी संजीदा होता रहा.
श्री झा के उपरांत वस्‍त्र मंत्रालय से श्री सौरभ आर्य ने बैठक के अंतिम चरण में भविष्‍य की रणनीति पर अनुवादक साथियों से विचार मांगे और न्‍यायालय में शीघ्र ही डाले जाने वाले केस के विषय में पहले चुनाव कराने अथवा वर्तमान एसोसिएशन द्वारा केस फाइल किए जाने के विकल्‍पों पर सभी से वोट करने का अनुरोध किया. जिसके प्रत्‍युत्‍तर में 100 प्रतिशत लोगों ने हाथ खड़ा कर पहले चुनाव कराने की इच्‍छा जाहिर की. बैठक में मौजूद श्री गौड़ से इस विषय में आगे की प्रक्रिया के विषय में पूछे जाने पर उन्‍होंने घोषणा की कि आगामी 6 जून को वह संगठन की वार्षिक आम बैठक बुला रहे हैं एवं इस बैठक में वह चुनावों के लिए तिथि की घोषणा कर देंगे.
सभी अनुवादकों को एक संगठन सूत्र में पिरोने के लिए आए सुझावों पर की जा रही कार्रवाई के विषय में जानकारी देते हुए सौरभ आर्य ने सभी को सूचित किया कि आज से ही सीएसओएलएस कैडर के सभी कनिष्‍ठ एवं वरिष्‍ठ अनुवादकों से संबंधित आवश्‍यक सूचनाओं को एक डाटाबेस तैयार करने पर कार्य प्रारंभ किया जा चुका है जिसके लिए एक प्रोफार्मा श्रीमती विशाखा बिष्‍ट (वित्‍त मंत्रालय)  द्वारा उपस्थित अनुवादकों को इस प्रकार वितरित किया गया कि कुछ लोग अपने आस-पास के मंत्रालयों की जिम्‍मेदारी उठाकर ये जानकारियां निर्धारित समय में एकत्र कर सकें. यह बड़ा सुखद अनुभव था कि कई साथियों ने स्‍वयं आगे बढ़कर यह जिम्‍मेदारी उठाने का आग्रह किया. श्री सौरभ ने आगे सभी को सूचित किया कि अब से हमारे संगठने की एक ई-मेल आईडी translatorsofcsols@yahoo.in होगी जिसके माध्‍यम से संगठन की हर गतिविधि की जानकारी अनुवादकों तक पहुंचेगी और वे भी कोई भी बात संगठन के पदाधिकारियों तक पहुंचा सकते हैं. इसी क्रम में बताया गया कि आज से ही सोशल नैटवर्किंग साइट फेसबुक पर CSOLS के नाम से ही एक नया पेज शुरू हो रहा है जिसे केवल अनुवादक साथी ज्‍यॉइन कर सकते हैं. यह सभी अनुवादकों के मध्‍य एक सेतु का कार्य करेगा और विचार विमर्श के लिए एक स्‍थाई मंच उपलब्ध कराएगा.
इन्‍हीं सब विषयों पर गहन चर्चा के उपरांत बैठक की कार्यवाही को विराम दिया गया. सभी अनुवादकों ने  एक नई आशा और उत्‍साह के साथ मीटिंग स्‍थल से अपने गंतव्‍य की और प्रस्‍थान किया. अब इंतजार 6 जून को होने वाली एजीएम की बैठक का है.

- मोडरेटर डैस्‍क.

6 comments:

  1. मित्रो
    यह बहुत सार्थक पहल है. इसकी जरुरत काफी दिनों से थी. खेद है कि मैं नहीं पहुच सका. सूचना नहीं मिल पायी थी.
    किन्तु इस से पूर्व जो बैठक हुई थी उसमे मैंने ब्लॉग बनाने का सुझाव दिया था लेकिन बाद में किसी ने मुझसे संपर्क नहीं किया. आज यह ब्लॉग देख प्रसन्नता हो रही है. हिंदी अनुवादक सरकार की सबसे बुद्धिजीवी कैडर है जो कि अभी हाशिये पर है. हमें कुछ सार्थक पहल करने होंगे.

    देश में जब हिंदी अनुवाद, साहित्य अनुवाद की बात आती है तो कहीं भी हिंदी अनुवादक का जिक्र नहीं आता, जबकि हमारे बीच अनुवादको की नई पीढी ऐसी है जो साहित्य और अनुवाद में व्यक्तिगत स्तर पर बढ़िया कर रहे हैं.सरकारी अनुवाद को दोयम दर्जे का अनुवाद मानकर इसे खारिज किया जाता है, जबकि अखबार और दूसरे मीडिया में घटिया हिंदी/अनुवाद धरल्ले से परोसा जा रहा है. ऐसे में मुझे लगता है, हम अनुवादको को अपने कैरियर के इतर भी सक्रिय होने की जरुरत है.
    मेरा प्रस्ताव है कि हम "अनुवादक" नाम का एक त्रैमासिक पत्रिका प्रकाशित कर सकते हैं जो समकालीन अनुवाद और साहित्य की पत्रिका होगी. इस से हमारे कैडर के लोगों को मंच भी मिलेगा और वृहत साहित्य संसार में स्थान भी.

    मुझे से जो भी , जिस भी स्तर पर मदद चाहिए, मैं सदैव हाज़िर हूं.

    अरुण चन्द्र रॉय
    कनिष्ठ अनुवादक, रसायन एवं पेट्रो रसायन विभाग
    शाश्त्री भवन , नई दिल्ली 9811721147

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  2. धन्‍यवाद अरूण जी.
    पहली बैठक का आयोजन बहुत कम समय में किया गया था सो सुनियोजित ढंग से सभी साथियों तक संदेश नहीं पहुंच पाया. पर भविष्‍य में हर गतिविधि की सूचना सभी अनुवादका साथियों को समय पर पहुंचेगी. इसके लिए एक त्रिस्‍तरीय प्रणाली को विकसित किया गया है. विस्‍तृत विवरण आप मेल में पढ ही चुके होंगे. खैर, अब आप इस मुहिम से जुड़ ही चुके हैं तो स्‍वागत है आपका. आपकी उपर्युक्‍त सभी बातों से पूर्णतया सहमत हूं.

    हम सभी का मूल उद्देश्‍य इस कैडर और इससे जुडे लोगों को एक सम्‍मानजनक स्थिति तक लेकर जाना है. वेतन विसंगति संबंधी तमाम विषयों के साथ साथ कुछ रचनात्‍मक कार्यों पर ध्‍यान देने की आवश्‍यकता है. सब मिल कर जब आगे बढ़ेंगे तो निस्‍संदेह कुछ बेहतर ही सामने आएगा.

    आपके सहयोग के बिना यह पुनीत कार्य असंभव होगा. जल्‍दी ही आपसे मिल कर चर्चा होगी.

    पुन: धन्‍यवाद.

    सौरभ आर्य.

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  3. सबसे पहले तो मै अपना परिचय देता हुं। मेरा नाम रघुवीर शर्मा है और मैं आजकल सीमा सुरक्षा बल महानिदेशालय के राजभाषा अनुभाग में कनिष्‍ठ अनुवादक के पद पर सेवारत हूं। अनुवाद में मेरी गहरी दिलचस्‍पी है और सरकारी अनुवाद के अलावा मेरी अनूदित तीन पुस्‍तकें प्रकाशित हैं। मैं यह कहना चाहता हूं कि यदि अपना एसोसिएशन अनुवाद से जुडी कोई पत्रिका आदि निकालता है तो मैं अपनी सेवाएं सहर्ष प्रस्‍तुत करता हूं और मेरा लेखन और पत्रकारिता का जो भी अनुभव है, उसका प्रयोग अपने संगठन के लिए करके मुझे अतीव प्रसन्‍नता होगी।

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  4. RAGHUBIR SHARMA7 June 2012 at 23:27

    श्री रॉय का पत्रिका प्रकाशित करने का विचार बहुत उत्‍तम है और इस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्‍यकता है। जैसे ही अपना संगठन व्‍यवस्थित होकर काम करने लगे, इस पर विचार किया जाना चाहिए। मेरा मोबाइल नं 9818484865 है। विचार-विमर्श के लिए निस्‍संकोच फोन करें।

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  5. @Raghubir Sharma,
    धन्‍यवाद रघुबीर शर्मा जी, आपके विचारों का स्‍वागत है. पत्रिका निकालने का विचार निस्‍संदेह उत्‍तम है. पर जैसा कि आपने स्‍वयं कहा है कि एक बार संगठन व्‍यवस्थित होकर काम करने लगे तभी यह श्रेयस्‍कर होगा. अभी हमारे सम्‍मुख सेवा संबंधी विभिन्‍न प्राथमिकताएं हैं जिन पर युद्ध स्‍तर पर कार्य करने की आवश्‍यकता है. हां, तब तक सभी सुधि पाठकों से ब्‍लॉग के लिए लेख आमंत्रित हैं. यदि आप भी कुछ ऐसा कहना चाहते हैं जो सभी अनुवादकों से जुड़ा हैं तो स्‍वागत है आपका. अपना लेख ई मेल द्वारा हमें भेज दें. पत्रिका पर जब भी कार्य शुरू होगा तो आपका सहयोग अवश्‍य लिया जाएगा. धन्‍यवाद.

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  6. It is heartening to know that our fraternity has come out of slumber and now with concerted efforts we can hope to realize our respectable position in terms of service conditions.

    I think we must know each other also before election so that everybody become familiar with each other.There are few who could contribute constructively in our ongoing mission. MY contactno. 9540028230..(Dr. Prakash Kumar,JHT,M/o labour & employment).

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