Thursday 17 October 2013

कनिष्‍ठ अनुवादक हेतु 1.1.2006 से 4600 ग्रेड वेतन के संबंध में एरनाकुलम कैट ने दिया एक और महत्‍वपूर्ण फैसला.

सभी दोस्‍तों को जानकर हर्ष होगा कि 1.1.2006 से कनिष्‍ठ अनुवादकों हेतु 4600 रू ग्रेड वेतन की लड़ाई में एक और महत्‍वपूर्ण अदालती फैसला आ चुका है. जिसने कनिष्‍ठ अनुवादक की 1.1.1006 से 13.11.2009 के व्‍यय विभाग के का.ज्ञा. के आधार पर 4600 ग्रेड वेतन की मांग के संदर्भ में सभी संशयों को दूर कर दिया है. दिनांक 14 अक्‍तूबर, 2013 को एरनाकुलम कैट की फुल बैंच द्वारा पी.आर. आनंदावल्‍ली एवं श्री टी.एम.थॉमस के मामलों में एक महत्‍वपूर्ण फैसला देते हुए कनिष्‍ठ अनुवादकों की 1.1.2006 से 13.11.2009 के का.ज्ञा. के आधार पर मांग को जायज ठहराया है और कहा है कि इस विषय का फैसला पहले ही श्रीमती टी पी लीना के मामले में केरला उच्‍च न्‍यायालय में किया जा चुका है. (गौरतलब है कि श्रीमती टीपी लीना का मामला 4600 ग्रेड पे का न होकर पूर्णतया एमएससीपी के निर्धारण का था. मगर तमाम न्‍यायालयों ने माना है कि श्रीमती लीना के केस की एक महत्‍वपूर्ण फाइंडिंग यह भी थी कि 1.1.2006 को क. अनुवादक 13.11.2009 के का.ज्ञा. के अनुसार 4600 ग्रेड पे के हकदार हैं) . तकनीकी रूप से सरकार अब अपने स्‍टैंड को नहीं बदल सकती है. 

इस हालिया फैसले का मजमून स्‍वयं में बड़ा रोचक है. आप सभी अवश्‍य इसका अध्‍ययन करें. इस फैसले में माननीय केरला कैट ने ठीक उसी लाइन पर फैसला दिया है जिस पर अनुवादकों की हाल ही में दिनांक 15 अक्‍तूबर को बोट क्‍लब पर हुई बैठक में चर्चा की गई थी. इससे स्‍पष्‍ट होता है कि हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. साथियों इस फैसले से हमारे उत्‍साह में अभिवृद्धि हुई है.....आइए और दुगने उत्‍साह से अपने लक्ष्‍य की ओर आगे बढ़ें. हम लडेंगे और हर हाल में जीतेंगे. हां, यहां श्रीमती टीपी लीना का जितना भी धन्‍यवाद दिया जाए कम ही होगा. उन्‍होंने ही इस अंधेरे में रौशनी की पहली किरण देशभर के अनुवादकों को दिखाई है. श्रीमती लीना ने इस फैसले की जो प्रति मुझे प्रेषित की है उसे आप सभी के ध्‍यानार्थ यहां प्रस्‍तुत कर रहा हूं. आपकी प्रतिक्रियाओं का स्‍वागत है. 


फैसले की प्रति Translators' Club की संबंधित पोस्‍ट से डाउनलोड की जा सकती है. 

4 comments:

  1. टी.पी.लीना जी द्वारा प्रदत्त सहयोग की जितनी भी प्रशंसा की जाये वह कम है.अब किसी भी संशय की गुंजाईश नहीं रह गयी है.बस इसे कार्यान्वित करवाने भर की देर है.आर्य जी इस बार पूरी शक्ति लगा दीजिये.बल्कि व्यय विभाग में कुछ राजभाषा के उच्चाधिकारियों के साथ जाकर मिलिए और उन्हें यह आर्डर दिखाइये और लगातार संपर्क साधे रहिये.. शायद बात बन जाये.शुभकामनाओं सहित-माधवी

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  2. परम आरदणीय आर्य जी,

    सादर नमस्‍कार
    आपके द्वारा दिए गए हर्षदायी समाचार देने के बारे आपकी जितनी भी प्रसंशा की जाए वह बहुत ही कम है । मैं परमात्‍मा से आपको अत्‍याधिक शक्तिशाली बनाने तथा उज्‍जवल भविष्‍य की कामना करता हूं । माधवी जी इच्‍छा पूरी होने जा रही है इसमें कोई संशय नहीं ।
    मैं पुन: आपसे भी अनुरोध कर रहा हूं कि जैसे मैंने बार-बार अनुरोध किया है दिल्‍ली में बैठै राजनेताओं को यह आदेश दिखाएं तथा व्‍यय विभाग से शीघ्र अतिशीघ्र आदेश पारित करवाएं । आपकी बडी मेहरवानी होगी । व्‍यय विभाग कई बार जीते हुए केस को अपने दकियानूसी विचारों से रिजेक्‍ट कर चुका है । सचिव राजभाषा एक वरिष्‍ठ अधिकारी होते हैं उनके द्वारा किए गए आदेश को कैसे ठुकराया जा रहा है । समझ नहीं आता । शीघ्र कार्रवाई की अपेक्षा के साथ तथा सभी साथियों के उज्‍जवल भविष्‍य की कामना के साथ । एकाध सप्‍ताह में मोरचा मारो

    डा विजय शर्मा

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  3. Dear sir

    extremely happy to hear the news after a prolonged period. There is strong possibility that concerned dept would not move to higher courts considering the landmark decision in smt leena case by apex court in similar matter which formed the basis for this CAT decision. Our sincere efforts would certainly help us in achieving our goal. Best wishes to all of us.

    Prashant kr jha
    Jaipur Raj.

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  4. I express my sincere gratitude to the applicants in the instant case ; P. R. Anandavalli & T. M. Thomas and off course to T. P. Leena who won the battle for the all of us. Also congratulations to all the brothers who were trying their best to get 4600. It is my sincere advice that before making any demand on the basis of this judgment we should wait for the implementation of the order to the parties in the case.

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