Friday 8 November 2013

4600 ग्रेड वेतन संबंधी केस से जुड़े संभावित प्रश्‍नों के उत्‍तर....सभी का सहयोग अपेक्षित है.

प्रिय मित्रो, कनिष्‍ठ अनुवादकों हेतु 4600 /- ग्रेड वेतन के मामले को लेकर संवर्ग के अनुवादक  अपने स्‍तर पर पूर्व में दो बैठकें क्रमश: 15 अक्‍तूबर और 25 अक्‍तूबर को कर चुके हैं. इन बैठकों का पूर्ण विवरण हमारे ब्‍लॉग तथा फेसबुक की कम्‍यूनिटी में नियमित रूप से अपडेट किया जाता रहा है. फिर भी जो अनुवादक साथी इन बैठकों में नहीं आ सके अथवा जिनके मन में उपर्युक्‍त मामले के संबंध में विभिन्‍न सवाल उठ रहे हैं उनके लिए सभी संभावित प्रश्‍नों के उत्‍तर हम यहां देने की कोशिश कर रहे हैं। आप सभी से अनुरोध है कि सबसे पहले तो मामले को अपनी समझ से समझें, दूसरों के बताने पर मामले की कमजोरी या मजबूती की बातों पर यकीन न करें.

प्रश्‍न 1. 4600 ग्रेड वेतन के लिए नया केस दर्ज करने के क्‍या आधार हैं ?
उत्‍तर : यह नया केस व्‍यय विभाग की 13.11.2009 के आदेश की व्‍याख्‍या को चुनौती देगा. दरअसल यह केस कैट में दायर किया जाएगा जिसमें राजभाषा विभाग को पार्टी बनाया जाएगा क्‍योंकि विभाग ने जनवरी, 2013 में एसोसिएशन द्वारा 4600 ग्रेड वेतन के संबंध में भेजे गए प्रतिवेदन को खारिज कर दिया है । हमारे पक्ष में श्रीमती टीपी लीना द्वारा एरनाकुलम कैट, केरल उच्‍च न्‍यायालय और सर्वोच्‍च न्‍यायालय में जीते गए केस और अभी हाल ही में 14 अक्‍तूबर, 2013 का एरनाकुलम फुल बैंच का आदेश है जिसमे न्‍यायालय ने माना है कि 13.11.2009 के व्‍यय विभाग के आदेश के अनुसार केन्‍द्र सरकार के अधीनस्‍थ कार्यालयों में कार्यरत कनिष्‍ठ हिंदी अनुवादक 4600 ग्रेड वेतन के हकदार हैं. इसके अलावा भी हमारी टीम की इस मामले में गहराई से की गई रिसर्च के उपरांत कई और रोचक तथ्‍य एवं तर्क सामने आए हैं जिनसे हम अपने पक्ष को मजबूती के साथ अदालत में रख सकते हैं.

प्रश्‍न 2. क्‍या यह नया केस पहले से कैट में विचाराधीन 1986 वाले मामले को प्रभावित करेगा?
उत्‍तर : जी नहीं, बेशक दोनों मामलों का परिणाम एक ही होगा मगर दोनों मामलों का आधार अलग अलग है. जो तथ्‍य और तर्क नए केस में प्रस्‍तुत किए जा रहे हैं वे 1.1.2006 के बाद उत्‍पन्‍न हुई विसंगतियों के बारे में हैं. जबकि 1986 का मामला सीएसएस असिस्‍टेंट के साथ पैरिटी का है.

प्रश्‍न 3. पांच ही पैटीशनर्स क्‍यों, हर अंशदाता पैटीशनर्स में क्‍यों नहीं ?
उत्‍तर : किसी भी केस को लड़ने वाला एड़वोकेट केस की फीस पैटीशनर्स की संख्‍या के आधार पर तय करता है. यदि हम पांच पैटीशनर्स केस लड़ रहे हैं तो फीस अलग होगी और यदि 100 पैटीशनर्स का नाम केस में होगा तो फीस कई गुना बढ़ जाएगी । हम सभी जानते हैं कि भारी भरकम फीस हम दे पाने की स्थिति में नहीं हैं. मात्र 1000 रूपए के साथ क्‍या किसी केस में पैटीशनर बना जा सकता है ? हम यहां रणनीतिक रूप से आगे बढ़ रहे हैं इसमें संवर्ग के साथियों को लीड़ कर रही टीम पर भरोसा करना होगा. यहां यह उल्‍ल्‍ेखनीय है कि इस मामले को लीड़ कर रही टीम के सभी सदस्‍य पैटीशनर्स में शामिल नहीं हैं. शेष लोग भी पूरी शिद्दत से इस मामले में मेहनत कर रहे हैं. पैटीशनर्स मात्र तकनीकी औपचारिकता हैं.

प्रश्‍न 4. क्‍या इस केस को जीतने की स्थिति में लाभ सिर्फ 5 पैटीशनर्स को मिलेगा अथवा पूरे संवर्ग के अनुवादकों को ?
उत्‍तर : इस संबंध में तीन संभावनाए हैं –
1.         सबसे पहली और प्रबल संभावना है कि लाभ एक साथ ही पूरे संवर्ग के अनुवादकों को मिल सकेगा. चूंकि हम केस की प्रेयर में ही सीएसओएलएस संवर्ग के अनुवादकों के लिए रिलीफ मांगेंगे. यदि फैसला हमारे पक्ष में होता है तो यह लाभ सभी को तुरंत मिलना चाहिए.
2.         दूसरी संभावना में, एक क्षण के लिए हम मान लेते हैं कि फैसला सिर्फ एप्‍लीकेंट्स के हक में हुआ. तो भी कॉमन सेंस कहता है कि एक ही कैडर के कुछ लोग अलग स्‍केल लें और बाकी लोग अलग. ये संभव नहीं है. इसके लिए हमारी टीम विभाग को एक खास नियम के तहत आवेदन करेगी. इस संबंध में जनवरी, 2013 के स्‍वामी न्‍यूज में एक प्रावधान है...  "(Swamy's News Item 12 page 86, January 2013) जिसका आशय यह है कि “Service benefit granted to an employee by a judiciary in a case is applicable to similarly situated other employees of a department without the other employees of the department approaching the judiciary for the same benefit." यह आदेश हमें भी पूर्ण रूप से लागू होता है।"'
3.         हम यह भी संभावना लेकर चल रहे हैं कि हो सकता है कि राजभाषा विभाग उपर्युक्‍त प्रावधान को भी न माने. उस स्थिति में भी हमार टीम कार्रवाई करेगी. इसके लिए सर्वोच्‍च न्‍यायालय में समानता के मौलिक अधिकार के हनन के लिए एक याचिका दायर की जाएगी जिसमें अदालत एग्‍ज्‍यीक्‍यूटिव यानि कि विभाग को सभी समान कर्मचारियों को समान लाभ प्रदान करने के निदेश देगी.
मित्रो, यहां पांच पैटीशनर्स मात्र इस केस की तकनीकी औपचारिकता हैं हमारा उद्देश्‍य पूरे संवर्ग के अनुवादकों को लाभ दिलाना है और यदि फैसला हमारे हक में होता है तो हमारा कार्य तभी पूरा होगा जब संवर्ग के हर एक अनुवादक को यह लाभ प्राप्‍त हो जाएगा.

 प्रश्‍न 5.  : प्रति व्‍यक्ति अंशदान कितना है और कैसे दिया जा सकता है ?
उत्‍तर : प्रति व्‍यक्ति अंशदान 1000 रू है जिसे निम्‍नलिखित प्रतिनिधियों को सौंपा जा सकता है :
·         * श्रीमती विशाखा बिष्‍ट, राजस्‍व विभाग, नॉर्थ ब्‍लॉक
* सुश्री पूनम विमल, कृषि मंत्रालय, कृषि भवन
* श्री राकेश श्रीवास्‍तव, नारकोटिक्‍स कंट्रोल ब्‍यूरो, आर. के पुरम.
* श्री सौरभ आर्य, वस्‍त्र मंत्रालय, उद्योग भवन

* श्री दीपक डागर, आर्थिक कार्य विभाग, नॉर्थ ब्‍लॉक

* श्री ओमप्रकाश कुशवाहा, रक्षा मंत्रालय 

* श्री मणिभूषण, पर्यावरण मंत्रालय

इस केस को दायर करने के लिए पर्याप्‍त अंशदान अभी तक प्राप्‍त नहीं हो पाया है हमें जल्‍द से जल्‍द अपने हाथ मजबूत करने होंगे ताकि किसी भी आवश्‍यकता की स्थिति में हम कमजोर न पड़ें. फंड के रखरखाव की मॉनीटरिंग कोऑर्डीनेशन कमेटी द्वारा नियमित आधार पर की जाएगी एवं अधिकतम पारदर्शिता बरती जाएगी.  

जो साथी दिल्‍ली से बाहर हैं और अंशदान करना चाहते हैं वे नीचे दिए जा रहे दो ऑन लाइन अकाउंट्स में 1000 रू की राशि जमा कर सकते हैं. कृपया ऑनलाइन कांट्रीब्‍यूशन जमा करने के बाद इसका विवरण ईमेल translatorsofcsols@yahoo.in पर अपने नाम और पते के साथ अवश्‍य भेजें.

1. Saurabh Arya, Central Bank Of India, Branch Name: Udyog Bhawan (New Delhi)A/c No. 3098379559. IFSC CODE CBIN 0282169

2. Vishakha Bisht, ICICI, A/c No. 015401506654, IFSC CODE : ICICI0000154. Branch – Pitampura New Delhi.


कृपया ऑनलाइन ट्रांसफर को अंतिम विकल्‍प के रूप में ही प्रयोग करें. सभी अंशदाताओं का विवरण ब्‍लॉग पर सार्वजनिक किया जाएगा.

दोस्‍तो, उपर्युक्‍त के अलावा भी यदि आपका कोई भी प्रश्‍न हो तो कृपया सीधे श्री सौरभ आर्य से 09711337404 पर अथवा श्री दीपक डागर से 09871136098 पर (केवल केस से संबंधित तकनीकी जानकारी के लिए) (किसी भी कार्यदिवस में) पूछ सकते हैं. हम जल्‍द ही एक और बैठक आयोजित करने जा रहे हैं तब तक आप सभी से अनुरोध है कि इस विषय को समझें, जागरूक बनें और प्रयास में हाथ बंटाएं. यदि मिलकर ये जंग लडेंगे तो जरूर जीतेंगे. 

8 comments:

  1. प्रिय श्री सौरभ जी
    सस्नेह नमस्ते।
    गत कुछ दिनों से व्यस्तता के कारण ब्लॉग से जुड नहीं पाया था। यह बहुत खुशी की बात है कि जो कदम उठा लिए गए हैं वे बहुत ठोस हैं।
    उपर्युक्त प्रश्नोत्तर में यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि यदि उपर्युक्त केस हम जीतेंगे तो यह लाभ संवर्गेतर अधीनस्थ कार्यालय के अनुवादकों को भी समान रूप से मिलेगा या नहीं। मेरा कहना है कि उक्त लाभ संवर्गेतर अधीनस्थ कार्यालय के अनुवादकों को भी अवश्य मिलेगा क्योंकि उनका वेतनमान सीएसोएलएस संवर्ग के अनुवादकों के वेतनमान से जुडा हुआ है। इसलिए संवर्गेतर अधीनस्थ कार्यालय के अनुवादकों को इस संबंध में कोई संदेह होना नहीं चाहिए।

    मेरे विचार से भी उपर्युक्त प्रश्नोत्तर, परामर्श, लिए गए कदम एकदम सही हैं । केस जीतने की हार्दिक शुभकामनाएँ।

    अभी आपने सिर्फ संवर्ग के अनुवादकों से अंशदान लेने का निर्णय लिया है। लेकिन, जब भी आपको जरूरत पडे अंशदान देने के लिए बेझिझक बताएँ, और मैं आशा करता हूँ कि संवर्गेतर अधीनस्थ कार्यालय के सभी अनुवादक साथी भी अंशदान देने के लिए जरूर आगे आयेंगे और बिल्कुल हिचकिचाएंगे नहीं।

    आखिर यह लडाई सभी की है, सब को मिलकर लडनी है। कदम मिलाकर चलना होगा...

    साभार
    शरत्कुमार ना काशीकर्

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  2. आदरणीय सौरभ आर्य जी,
    नमस्‍कार
    अनुरोध्‍ा है कि एसोशियेशन के बलाग पर दिए गए ब्‍यान को देखें तभी आगे की कार्राई करें या 13 नवम्‍बर 13 का इंतजार करें
    सहायक/आशुलिपिक ग्रेड-ग के साथ कनिष्ठ अनुवादक की पैरिटी का मामला
    1986 के मामले में कई साथियों ने जानना चाहा है कि इस केस में जीत का लाभ 2006 बैच और उसके बाद के कनिष्ठ अनुवादकों को मिलेगा अथवा नहीं। एसोसिएशन इस मामले में अपने पास उपलब्ध कागजात,उनमें उल्लिखित तथ्यों एवं तर्कों के आधार पर अपने सभी साथियों को अवगत कराना चाहती है कि यह मामला सीएसएस के सहायक एवं आशुलिपिक ग्रेड-ग के साथ केंद्रीय सचिवालय

    राजभाषा सेवा के सभी कनिष्ठ अनुवादकों की ऐतिहासिक पैरिटी (1986-1996-2006) से जुड़ा हुआ है और इसी संबंध में प्रधान पीठ,केंद्रीय प्रशासनिक ट्राइब्यूनल(कैट) में दायर मामले की सुनवाई 13 नवम्बर,2013 को होने जा रही है।

    उपर्युक्त संबंध में एसोसिएशन द्वारा दायर मूल आवेदन में अन्य बातों के साथ-साथ 1986,1996 और 2006 में सहायकों/आशुलिपिक ग्रेड-ग और कनिष्ठ अनुवादकों की भर्ती के स्तर(अखिल भारतीय) एवं उसके लिए शैक्षिक व अन्य योग्यताओँ,पदोन्नति के प्रतिशत,कार्य व उत्तरदायित्व की प्रकृति और उस समय विद्यमान वेतनमानों की तुलनात्मक तालिका देते हुए 1986 से सहायक के समकक्ष वेतनमान देने के अलावा उसे छठे वेतन आयोग की सिफारिशें सरकार द्वारा लागू किए जाने की तारीख़ अर्थात् 1.1.2006 से भी कनिष्ठ अनुवादकों के मामले में वेतनमान में संशोधन कर सहायक के समकक्ष किए जाने का अनुरोध(prayer) किया गया है। यहां यह भी उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि इसी मामले के संबंध में दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की पीठ द्वारा वर्ष 2002 में फैसला दिया गया था जिसे सरकार ने मानते हुए 1996 से नोशनल आधार पर तथा फरवरी,2003 से वास्तविक आधार पर कनिष्ठ अनुवादकों को 5500-9000 रूपए का वेतनमान दिया था। इस प्रकार,इस फैसले को सरकार द्वारा आंशिक रूप से कार्यान्वित किया गया।

    यहां उल्लेखनीय है कि कुछ समय पूर्व टीपी लीना के मामले में आए फैसले के बाद,14 अक्टूबर,2013 को पी.आर. आनंदवल्ली अम्मा के मामले में कैट की एर्नाकुलम बेंच ने आवेदक के पक्ष में फैसला दिया है। एसोसिएशन ने 24 अक्टूबर को हुई कार्यकारिणी की बैठक में इस फैसले पर गहराई से विचार कर निर्णय लिया गया कि फिलहाल इस मामले को अदालत में न ले जाया जाए क्योंकि 2006 से कनिष्ठ अनुवादकों को 4600 रूपए का ग्रेड-पे दिए जाने का मामला 1986 वाले केस के प्रेयर में पहले ही शामिल किया जा चुका है और एक ही विषय पर दो अगल-अलग मामले दायर किए जाने का फिलहाल कोई औचित्य नहीं है, चाहे उसके आधार अलग-अलग ही क्यों न हों। एसोसिएशन का मानना है कि 2006 से कनिष्ठ अनुवादकों को 4600 रूपए का ग्रेड-पे दिए जाने के लिए कोर्ट में पैरिटी से बड़ा कोई आधार नहीं हो सकता।

    अन्य अद्यतन
    *06(छह) उप-निदेशकों की संयुक्त निदेशक के रूप में पदोन्नति संबंधी आदेश किसी भी वक्त जारी हो सकता है।
    *उप-निदेशकों को नियमित करने के लिए विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक 12 नवम्बर,2013 को प्रस्तावित है।

    डा विजय शर्मा

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  3. I am translator working in Hubli,Karnakataka in NSSO Under Ministry of Statistics and ready to extend moral and financial support for the cause of translators .

    Naresh,

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  4. s






    सौरभ जी ,मेरा भी कहना यही है कि अब 1986 के मामले का निर्णय आ जाने के बाद ही कोई कदम उठायें.संभवतः मामला स्वयं सुलझ जाए.क्योंकि इसका बहुत बड़ा एवं दूरगामी प्रभाव होगा यदि निर्णय पक्ष में आता है.शुभकामनाओं सहित--माधवी

    के


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  5. प्रिय श्री नरेश जी, नमस्ते
    यह जानकर खुशी हुई कि आप हुबली में सेवारत हैं। मैं भी हुबली का हूँ लेकिन बंगलूर में कार्यरत हूँ। बार बार मैं हुबली आता रहता हूँ। एक बार आपसे मिलूँगा। इस ब्लॉग से जुडने के लिए और हर संभव मदद दिए जाने की घोषणा के लिए धन्यवाद।
    शरत्कुमार काशीकर
    9740701365

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  6. आदरणीय काशीकर जी,
    इस हौसलाआफ़ज़ाई और शुभकामनाओं के लिए शुक्रिया. हम स्‍पष्‍ट करना चाहेंगे कि :
    1. आप एकदम सही हैं, यदि इस केस में सीएसओएलएस के अनुवादकों की जीत होती है तो हर हाल में इसका लाभ संवर्गेतर अनुवादक साथियों को मिलेगा. इसके लिए तमाम प्रावधान पहले से ही मौजूद हैं. पहले चरण में केवल सीएसओएलएस के अनुवादकों को साथ लेकर चलना हमारी रणनीति का हिस्‍सा ही है.
    2. अभी हम केवल सीएसओएलएस के साथियों से ही अंशदान ले रहे हैं....आवश्‍यकता पड़ी तो अवश्‍यक आपसे आग्रह करेंगे. सहायता के लिए आपकी प्रतिबद्धता मात्र से ही हमारा हौसला बढ़ जाता है.

    आदरणीय विजय शर्मा जी एवं माधवी जी,
    हम भी आज 13 नवंबर, 2013 की तारीख पर 1986 केस में प्रगति का इंतजार कर रहे हैं. परंतु हमारी चिंताएं इस केस के कैट से जीत लिए जाने के बावजूद यथावत रहेंगी. क्‍योंकि कैट से 1986 का केस जीत लिए जाने के बाद भी कई चुनौतियां इस फैसले के क्रियान्‍वयन तक रहेंगी. क्‍योंकि सरकार हमेशा कैट के फैसलों को हाईकोर्ट में चुनौती देती आई है इसलिए यह मामला भी इतना सरल नहीं है. एसोसिएशन दो दो माह पूर्व ही कह चुकी है कि वह अन्‍य आधारों पर केस दर्ज नहीं लड़ना चाहती. यह उनका अपना फैसला है.....इसके लिए अब हम एसोसिएशन को बाध्‍य नहीं कर रहे हैं. क्‍योंकि किसी भी केस को मजबूरी में नहीं लड़ा जा सकता. केस को लड़ने के लिए हमें तन-मन-धन से एकाग्र होकर जुटना पड़ता है. फिलहाल 1986 केस के लिए हमारी शुभकामनाएं एसोसिएशन के साथ हैं. यदि आज कोई सकारात्‍मक परिणाम नहीं आता है अथवा कोई प्रगति नहीं होती है तो हमारी टीम और समय व्‍यर्थ नहीं करना चाहेगी और हम शीघ्र ही 4600 के लिए कैट में केस दायर करेंगे. हम लोगों का यह प्रयास अनुवादकों के लिए 4600 ग्रेड वेतन तक पहुंचने का एक और विकल्‍प ही होगा. नीति यही कहती है कि जब समय न बचा हो और आपके लक्ष्‍य संकट में हो तो अपने समस्‍त विकल्‍पों का इस्‍तेमाल कर लेना चाहिए. यदि किसी भी स्‍तर पर हमें 1986 केस में दुर्भाग्‍य का सामना करना पड़ा तो 4600 के लिए डाला गया दूसरा केस हमारी आशाओं को जीवित रखेगा.

    नरेश जी, आपके इस समर्पण और सहयोग भावना के लिए हम आपके आभारी हैं.

    सभी को शुभकामनाएं :)

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    Replies
    1. thank you for your response
      naresh
      sri kashikar ji we can meet onface book myphone no,is 9243262618
      naresh

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  7. आदरणीय सौरभ आर्य जी

    सादर नमस्‍कार

    आपसे दिल्‍ली में दूरभाष से बात हुई परंतु व्‍यस्‍तता के कारण आपसे मिलन नहीं हो सका । 4600/- ग्रेड वेतन संबंधी मेरा यह कहना है कि जो आप व काशीकर जी की सोच है उसे तुरंत बिना रुके पूरा करें व समय न गवांए जैसा आपने मन बना रखा है तवरित गति से वैसा करें ।
    डा विजय शर्मा

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