Tuesday 25 June 2019

वर्ष 2017-18 की कुल 42 रिक्तियों के लिए आज डीपीसी संपन्‍न, आदेश शीघ्र ही


साथियो, वर्ष 2017-18 की कुल 42 रिक्तियों (वरिष्‍ठ अनुवाद अधिकारी) लिए आज डीपीसी संपन्‍न हो गई है. शीघ्र ही आदेश जारी किए जाएंगे. एक लगभग असंभव कार्य आज संभव हो गया है. इस डीपीसी का होना अगली कुछ पदोन्‍नतियों के शीघ्रता से होने के लिए अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण है. दरअसल 11 जून, 2019 को जब हम कुछ अनुवाद अधिकारियों की टीम शीघ्र पदोन्‍नतियों के सिलसिले में राजभाषा विभाग के अधिकारियों से मिली थी तो हमें सूचित किया गया कि अभी कुल 19 कनिष्‍ठ अनुवाद अधिकारियों के विभिन्‍न दस्‍तावेज प्रतीक्षित हैं और जब तक ये दस्‍तावेज विभाग को प्राप्‍त नहीं होंगे, अगली डीपीसी नहीं हो सकेगी. ये स्थिति अत्‍यंत निराशाजनक थी. 

तभी एक प्रतिनिधिमंडल तैयार कर विभाग के वरिष्‍ठ अधिकारियों से मुलाक़ात की गई. चूंकि इन 19 लोगों में कई साथी दिल्‍ली से बाहर के कार्यालयों में तैनात थे इसलिए स्‍पष्‍ट था कि इन 19 लोगों के दस्‍तावेज विभाग को प्राप्‍त करने में काफी समय लगेगा और उधर अगले कुछ ही दिनों में विभाग के पास पहले से पहुंचे हुए दस्‍तावेजों की वैधता अवधि समाप्‍त हो जाएगी. एक बार फिर अगर 77 लोगों से सतर्कता निकासी रिपोर्ट मंगाने का सिलसिला शुरू होता तो इस डीपीसी का दिसंबर, 19 तक भी होना संभव नहीं था. नतीज़तन अगली पदोन्‍नतियों में भी विलंब होता. इन 19 में से कुछ मामले ऐसे भी थे कि जहां पूर्व में अपेक्षित दस्‍तावेज विभाग में रिसीव करवाए गए थे लेकिन अब वहां कोई रिकॉर्ड नहीं था. ऐसे मामलों को तत्‍काल संयुक्‍त सचिव महोदय के संज्ञान में लाया गया और डुप्‍लीकेट कॉपी तत्‍काल विभाग को उपलब्‍ध कराई गईं.

सभी अपेक्षित दस्‍तावेज मिलते ही डीपीसी करने के विभाग के अधिकारियों के आश्‍वासन के उपरांत हमारी टीम ने तीन दिनों के अंदर सभी अपेक्षित दस्‍तावेज राजभाषा विभाग के वरिष्‍ठ अधिकारियों को सौंप दिए थे. हम शुक्रगुज़ार हैं अपने हर उस साथी के प्रति जिसने अत्‍यंत कम समय में इस कार्य को संभव बनाने में हमारी मदद की. इस घटनाक्रम ने एक बार पुन: सिद्ध किया है कि यदि हम संगठित हैं तो कोई भी काम मुश्किल नहीं. अब हमें पूरा यकीन है कि हम सभी मिलकर न केवल वर्ष 2018 की रिक्तियों के लिए भी इसी तरह कम से कम वक्‍़त में डीपीसी को संभव बना सकेंगे बल्कि कई अन्‍य पिछड़ रहे कार्यों को भी जल्‍द से जल्‍द संपन्‍न करा सकेंगे.

इस त्‍वरित कार्रवाई के लिए हम विशेष रूप से विभाग के संयुक्‍त सचिव, श्री जे पी अग्रवाल और उप सचिव, श्री बी. एल. मीना के प्रति आभारी हैं.

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