Thursday 7 June 2012


दबंगई से लोकतंत्र की ओर

अनुवादक एसोसिएशन की बैठक सम्‍पन्‍न 


अनुवादक एसोसिएशन की दिनांक 06.06.12 की बैठक की कार्यवाही अराजक और निंदनीय शोरगुल से भरी थी. आधिकारिक रूप से तो यह बैठक एसोसिएशन की वर्तमान कार्यसमिति द्वारा बुलाई गई थी, पर भाग लेने वाले अनेक सदस्‍यों की तरह मैं भी वहां एसोसिएशन के समानांतर कुछ परिवर्तनकामी सक्रिय जूनियर और सीनियर अनुवादकों की सूचना के आधार पर पहुंचा था. एसोसियशन के कार्यसमिति की मंशा इस बैठक को आम सभा की बैठक बनाने की कितनी थी यह तो नहीं कहा जा सकता, पर इतना जरूर हुआ कि इस बैठक में जूनियर और सीनियर अनुवादकों की जबरदस्‍त भागीदारी हुई. मेरे अपने स्‍मरण में अनुवादकों की ऐसी भागीदारी आम सभा की की किसी बैठक में इससे पहले कभी नहीं हुई थी. अराजकता और शोरगुल बहुत अफसोसजनक था, पर बतौर एक जूनियर अनुवादक मेरे लिए यह एक ऐतिहासिक सुकून से भरी बात हुई कि बैठक में एक निश्चित फैसला निकलकर सामने आया, जब यह घोषणा हो सकी कि एसोसिएसन के चुनाव दिनांक 17.07.2012 को करा लिए जाएंगे. आशा है कुछ ऐसा ही अनुभव मेरे सभी अनुवादक साथियों ने किया होगा.   
अनुवादक साथियों से अपना अनुभव शेयर करने के रूप में मैं कहना चाहूंगा कि बैठक में मची गर्मागर्मी ने यह जाहिर कर दिया कि पिछले 15 वर्षों से काबिज अनुवादक एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कैडर के भले के लिए कतिपय काम भले ही किए हों, उन्‍होंने लोकतंत्र की आबो-हवा कभी बनने नहीं दी. शक्ति आमसभा और एसोसिएसन के सांस्‍थानिक स्‍वरूप में निहित होनी चाहिए, कुछ व्‍यक्तियों में नहीं. अगर आमसभा की नियमित बैठक, स्‍वस्‍थ चर्चा, नियमित चुनाव, एसोसिएशन के खर्च और कार्यवाहियों का व्‍यवस्थित और अनिवार्य रखरखाव, सभी प्रकार की पारदर्शिता बनाए रखने जैसे काम नहीं होंगे, तो कुछ नेताओं के व्‍‍यक्तिवाद के इर्द गिर्द न्‍यस्‍त स्‍वार्थ, झूठे अहम और दबंगई की मानसिकता का ताना-बाना ही बुनता चला जाएगा. 06.06.12 की बैठक में दबंगई की मानसिकता के कई नजारे देखने को मिले. यह अच्छा हुआ कि अनुवादकों के बीच आकर अपनी गरिमा की हानि होता देखने वाले पदाधिकारियों ने यह मान लिया कि यह एसोसिएशन मूल रूप से अनुवादकों की है, और आगामी चुनाव में मत डालने का अधिकार केवल जूनियर और सीनियर अनुवादकों तक सीमित रहेगा, और तदर्थ सहायक निदेशक भी निर्वाचक मंडल से सम्‍मान पूर्वक बाहर रहेंगे.

वर्तमान एसोसिएशन के पदाधिकारियों का रुझान लोकतंत्र-विरोधी है, यह इससे भी पता चलता है कि इन्होनें जूनियरों को लगभग धकियाते हुए घोषित समय से पूर्व ही बैठक की कार्रवाई आरंभ करनी चाही. घोषित एजेंडा के विषयों को दरकिनार करते हुए एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने अपनी कथित उपलब्धियों का बखान शुरू कर दिया और इस संबंध में एक पर्चा भी बांटा. इस पर्चे का मुख्य लक्ष्य क्या था यह इससे ही स्पष्‍ट होता है कि पर्चे की शुरूआत इस एसोसिएशन से पूर्व की एसोसिएशन के पदाधिकारियों को हिटलशाही का प्रतीक बताते हुए और अंत कनिष्‍ठ अनुवादकों को कम अनुभवी और शॉर्टकट से सफलता चाहने वाला बताते हुए की गई. अर्थात, यह एसोसिएशन ऐसी एसोसिएशन है जिसे अपने इतिहास का सम्मान नहीं और भविष्‍य पर भरोसा नहीं. इस पर्चे में यह भी कहा गया है कि कुछ अनुवादक/तदर्थ सहायक निदेशक एसोसिएशन के कुछ पदाधिकारियों को व्यक्तिगत तौर पर नापसंद करते हैं. निश्चित तौर पर पर्चे का कंटेट स्व-केंद्रित और व्यक्तिवादी था जिसमें एक संस्था के तौर पर एसोसिएशन की गरिमा का सम्मान नहीं परिलक्षित होता है.


बैठक की शुरूआत में एसोसिएसन के पदाधिकारियों ने एसोसिएशन की उपलब्धियां गिनायीं. अनुवादक श्री अजय कुमार झा ने कहा कि कम समय और अराजकता की स्थिति को देखते हुए कथित उपलब्धियों पर क्रमवार चर्चा संभव नहीं है, इसलिए translatorsofcsols.blogspot.in के माध्‍यम से मैं इस चर्चा को आगे बढाउंगा और इन तथाकथित उपलब्धियों की असल कहानी बताउंगा. उन्‍होंने हम अनुवादक साथियों से इस चर्चा में हिस्‍सेदारी का आहवान किया है.
ऐसा महसूस हुआ कि जब कोई और कारगुजारी काम न आई तो कोशिश यह की गई कि रोष को किसी असंगत दिशा में मोड़कर मुख्य मुद्दे से ही ध्यान भटका दिया जाए. शायद इसलिए वर्तमान एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने अनुवादकों के ध्‍यान को राजभाषा विभाग की ओर मोड़ने और उसके आगे धरना प्रदर्शन की बात की.

शोरगुल में हमेशा की तरह हम अनुवादकों की आवाज घुटकर रह गई, पर चुनाव की घोषणा निश्चित तौर पर आशा की किरण के रूप में दिखाई दी. बैठक के दौरान ऐसे अनेक नए पुराने अनुवादक नवीन उर्जा से भरे नजर आए, जो हिंदी अनुवादक के लाभ और गरिमा की लडाई को छोटे मोटे गुना भाग के दायरे से बाहर निकालकर बहुत व्‍यापक फलक पर ले जाने के उत्‍सुक और इसके लिए समर्थ दिखे.
हमें अच्‍छे भविष्‍य की कामना करनी चाहिए और इसके लिए सक्रियता दिखानी चाहिए.

                                      पांडेय राकेश श्रीवास्‍तव

4 comments:

  1. आपने बहुत अच्‍छी रिपोर्ट तैयार की,धन्‍यवाद।

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  2. धर्मबीर, व. अनुवादक, औ.नी.एवं सं. विभाग8 June 2012 at 11:20

    बहुत अच्‍छा सर,अनुवादक एसोसिएशन में नए युग की शुरूआत आशा है कि और अनुवादक साथी भी ब्‍लॉग पर अपनी प्रतिक्रियाएं देंगे

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  3. परिवर्तन का सन्देश है आपके इस रिपोर्ट में. शुभकामनाएं.

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  4. bilkul sahi kaha rakesh ji aapne.... election ke declaration ne hum sabhi mein ek nayi oorja bhar di hai aur hamara prayas is oorja ko sahi disha mein istemaal karne ka hona chahiye!!

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